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    निगम खुद कान्ह को प्रदूषित कर रहा और ठीकरा उद्योगों पर

  • January 06, 2024

    • चेकडेम से लाखों लीटर जहरीला पानी ओवरफ्लो होकर कान्ह में मिलकर ट्रीटमेंट वाटर को वापस प्रदूषित कर देता है
    • प्रदूषित पानी छोडऩे वाले 71 उद्योगों को चिन्हित करने वाला

    इंदौर, प्रदीप मिश्रा। कान्ह नदी में प्रदूषित पानी छोडऩे वाले 71 उद्योगों को चिन्हित करने वाला नगर निगम खुद भी कम जिम्मेदार नहीं है। वाटर ट्रीटमेंट के लिए बनाए गए एसटीपी से लगभग 300 मीटर दूर नरवल में बने चेकडेम से लाखों लीटर गन्दा पानी ओवरफ्लो होकर कान्ह में मिलता रहा है। इतना ही नहीं नगर निगम ने उद्योगों से एसटीपी तक जो पाइप लाइन डाली वह कई सेक्टर तक तो आज तक पहुंची ही नही है। यही मुख्य कारण है कि सेक्टर-ए और डी के उद्योगों को टैंकर के जरिये प्रदूषित पानी एसटीपी तक पहुंचाना पड़ता है। टैंकर ड्रायवर समय और डीजल बचाने के लालच में मौका मिलते ही अपना टैंकर कान्हा में खाली कर भाग जाते है। एसटीपी वाटर पाइप लाइन की समस्या सिर्फ सांवेर रोड इंडस्ट्रीयल एरिया के सेक्टर-ए और डी तक ही सीमित नही है बल्कि इस समस्या में बरदरी , भौंरासला कुम्हेडी के आसपास औद्योगिक क्षेत्र शामिल है।

    अनुभवी निगम अधिकारी बोले
    शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं को मकर सक्रांति पर्व पर स्नान के लिये साफ स्वच्छ पानी मिल सके इसके लिए मुख्यमंत्री मुख्यालय से मिले दिशा-निर्देश के बाद नगर निगम 3 जनवरी को सक्रिय हुआ है जबकि मकर सक्रांति है, मतलब 11 दिन पहले । इतने कम समय मे आखिर नगर निगम इस समस्या का हल कैसे करेगा । अनुभवी अधिकारियों के अनुसार 3 जनवरी तक जो पानी कान्ह से गुजर चुका है, वह तो शिप्रा तक पहुंच चुका होगा या पहुंचने वाला होगा क्योकि इंदौर से क्षिप्रा तक पानी पहुंचने में लगभग 8 दिन लग जाते है । हालांकि यह बहाव की तेजी या मंदी पर निर्भर करता है। कुल मिला कर कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है अब तक बहुत देर हो चुकी है।

    यह है प्रदूषित पानी समस्या की असली वजह
    कान्हा नदी में प्रदूषित पानी न मिले इसके लिए नगर निगम ने उद्योगों और सीवरेज पाइप लाइन से आने वाले प्रदूषित पानी को , सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया के सेक्टर-सी और एफ के बीच नरवल में चेकडैम पर रोक कर लगभग 300 मीटर पाइप लाइन के जरिये उसे सेक्टर एफ में बने एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट , मतलब एसटीपी तक पहुंचाया जाता है । यहां हर रोज लगभग 4 एम एल डी पानी का ही ट्रीटमेंट यानी शुद्धिकरण हो पाता है। बाकी प्रदूषित पानी चेकडैम से ओवरफ्लो हो कर कान्ह नदी में चला जाता है। यही प्रदूषित पानी, एसटीपी से साफ कर के कान्हा में छोड़े गए पानी को भी प्रदूषित कर देता है।

    समस्या का स्थाई हल है उद्योग संचालकों की माने तो उद्योग संचालकों का कहना है कि कान्ह नदी को यदि प्रदूषित पानी से बचाना है तो नगर निगम सभी औद्योगिक क्षेत्रो में कम से कम 18 इंच की एसटीपी पाइप लाइन डाले , इसके अलावा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अलग अलग औद्योगिक सेक्टर अथवा एरिया में अलग अलग एसटीपी बनाये । यही इस समस्या का स्थाई हल है । वरना नगर निगम और प्रदूषण विभाग हमेशा सिर्फ उद्योगों को डराता रहेगा। हम तो सरकार और प्रशासन का हमेशा से हर तरह से सहयोग करते है मगर अब नगरनिगम को भी हमें सुविधाएं देना चाहिए।

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