दिल्ली। दिल्ली एम्स (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 के नए स्ट्रेन्स जो सबसे पहले ब्रिटेन मे मिल है उसे को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। कोरोना वायरस कई बार म्यूटेट हो चुका है, हर महीने औसतन दो बार। एसा पहली बार नहीं हुआ है की इसने अपना नया स्ट्रैन दिखाया है।
उन्होंने कहा “म्यूटेशंस की वजह से लक्षणों और इलाज की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है। वर्तमान डेटा के अनुसार, ट्रायल फेज की वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी असरदार होनी चाहिए।” भारत के लिए COVID-19 से लड़ाई में अगले छह-आठ हफ्ते बेहद अहम हैं क्योंकि संरमितों और मौतें, दोनों घट रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार वो यूके वाले स्ट्रेन आया है उसे लेकर इतना अलर्ट केवल इसलिए हुआ क्योंकि म्यूटेटेड वायरस ज्यादा संक्रामक था। इसके चलते ज्यादा मौतें नहीं होती हैं।
जब से कोरोना आया है तब से अब तक के 10 महीनों के दौरान कई म्यूटेशंस हुए हैं और यह बेहद आम है। एम्स डायरेक्टर ने कहा कि आने वाली वैक्सीन का असर हर तरह के कोरोना वायरस पर होगा। अगर जरूरत पड़ी तो मैनुफैक्चरर्स वैक्सीन में बदलाव कर उसे वायरस में आए बड़े परिवर्तन के खिलाफ प्रभावी बना सकते हैं। देखा जाए तो अभी, वायरस में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखाई देता साथ ही अभी वैक्सीन में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है।
दुनियाभर में 50 से ज्यादा वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं। भारत में अगले साल जुलाई तक छह-सात टीके उपलब्ध हो जाने चाहिए। अभी फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्सीन मुफ्त होगी और केंद्र सरकार उसका खर्च वहन करेगी।
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