नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 आज से ठीक 10 साल पहले इसी तारीख को निर्भया कांड (Nirbhaya Case)हुआ था. तब उस समय दोषियों के खिलाफ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे और कड़ी से कड़ा सजा उन्हें देने की मांग की गई थी. आज से तीन साल पहले घटना के दोषियों को फांसी दे दी गई थी. लेकिन, इस वारदात में शामिल एक शख्स को कोर्ट ने बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया था. क्योंकि घटना के वक्त आरोपी की उम्र 18 साल से कम थी. वह अब कहा है और क्या कर रहा है.
पूरी वारदात को छह लोगों ने अंजाम दिया था. लेकिन, नाबालिग होने की वजह से एक सजा से बच गया था. बताया जाता है कि जेल से बाहर आने के बाद उसका नाम बदल दिया गया. उसे खाना बनाने की ट्रेनिंग दी गई. फिर, वह दक्षिण भारत चला गया और एक कुक के रूप में काम करने लगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अपना स्थान बदलता रहता है, जिससे उसकी पहचान पूरी तरीके से छिपी रहे. बता दें कि निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी इसी ने की थी. निर्भया रहम की गुहार लगाती रही पर इसका दिल नहीं पसीजा था.
कम उम्र की वजह से बच निकला था
निर्भया के साथ छह दरिंदों ने घटना को अंजाम दिया था. इनमें विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह,रामसिंह और पवन गुप्ता का नाम शामिल है. रामसिंह ने जेल में रहते हुए फांसी लगा ली थी और उसकी मौत हो गई थी. बाकी चार को फांसी की सजा दे दी गई थी, लेकिन एक अन्य जो अब कुक काम करता है, कम उम्र की वजह से बच निकला था.
चलती बस में गैंगरेप हुआ था
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को छात्रा के साथ उसके एक दोस्त की मौजूदगी में चलती बस में गैंगरेप किया गया और सर्द रात में बस से बाहर फेंक दिया गया था. बाद में इलाज के लिए निर्भया को सिंगापुर ले जाया गया, जहां उसने वहीं दम तोड़ दिया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को इस मामले के चार दोषियों को फांसी दी गई.
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