नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress MP Priyanka Gandhi Vadra) ने कहा कि संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं (The Constitution is not just a Document), बल्कि इंसाफ और उम्मीद की ज्योति भी है (But also light of Justice and Hope) । कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को लोकसभा में अपने पहले संबोधन में उक्त बात कही । इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी ।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने संबोधन की शुरुआत संविधान से करते हुए कहा कि संविधान ही हमारी आवाज है। संविधान ने हमें चर्चा का हक दिया है। संविधान ने आम आदमी को सरकार बदलने की भी ताकत दी है। वाद-विवाद संवाद की पुरानी परंपरा है। संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि इंसाफ और उम्मीद की ज्योति भी है। हमारा संविधान न्याय की गारंटी देता है। संविधान हमारा कवच है। पिछले 10 सालों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
प्रियंका गांधी ने कहा, “हमारा स्वतंत्रता संग्राम अपने आप में अनूठा था। आजादी की लड़ाई भी लोकतांत्रिक थी। जिसमें समाज के हर वर्ग ने हिस्सा लिया था। इस लड़ाई ने देश को एक आवाज दी। यह आवाज हमारे साहस की आवाज थी। इसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखने में अहम भूमिका निभाई। हम सभी लोगों को यह बात समझनी होगी कि संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है। बाबा अंबेडकर, मौलाना आजाद, जवाहरलाल नेहरू और तमाम नेताओं ने संविधान को बनाने में तमाम साल लगा दिए। हमारा संविधान ने हर भारतीय को एक नई पहचान दी है। हमारी आजादी के लिए लड़ाई ने हमारे अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता दी। जब आवाज उठेगी तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा। संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है।”
प्रियंका ने अपने संबोधन में विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मेरे सत्तापक्ष के लोग जो बड़े-बड़े दावे और वादे करते हैं, लेकिन आज तक इन लोगों ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया है। संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है। लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है। अगर यह लोग लोकसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे प्राप्त करने में सफल रहते, तो संविधान बदलने का भी काम शुरू कर देते। इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी। इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी।”
प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में जातिगत जनगणना पर बल दिया। उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना बहुत जरूरी है, ताकि इस बात का पता चल सके कि किस जाति की मौजूदा स्थिति कैसी है। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए तो इनका जवाब था- भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे। ये गंभीरता है इनकी।” उन्होंने कहा, “हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। किसानों, गरीबों को जमीन बांटी। पहले जब संसद चलती थी, तो बेरोजगारी और महंगाई पर चर्चा होती थी। लोगों को उम्मीदें होती थी कि संसद में हमारे मुद्दे को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा होगी। लेकिन, आज ऐसा बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा है। उस वक्त आदिवासियों को इस बात का भरोसा था कि अगर उनकी जमीन से संबंधित दस्वातेजों में किसी भी प्रकार का संशोधन होगा, तो वो उनकी भलाई के लिए होगा, मगर आज देखने को नहीं मिल रहा है।”
प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “सत्तापक्ष के हमारे कई साथी अतीत की बात करते हैं कि जवाहर लाल नेहरू ने क्या किया। अरे वर्तमान की बात कीजिए कि आप लोग क्या कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी क्या है। आप लोग अतीत की बात करके अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कृषि कानून उद्योगपतियों के लिए बनाए गए। वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है। आपदा आती है, तो राहत की बात नहीं की जाती है। इस देश का किसान आज भगवान के भरोसे है। यह सरकार लगातार किसानों के हितों की अनदेखी कर उद्योगपतियों के लिए ही कानून बना रही है।”
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