अयोध्या (Ayodhya)। हो कहा लगी नाम बड़ाई। राम न सकहि नाम गुण गाई…॥ यानी राम नाम की महिमा ही अपार (glory of Ram’s name immense) है। खुद रामजी भी राम नाम के गुण नहीं बता सकते। कुछ ऐसा ही भाव लालू कसेरा (Lalu Kasera) के मन में भी है। 32 सालों से देशभर के मंदिरों के लिए बर्तन (Utensils for temples) बना रहे लालू (Lalu) को रामकाज (Opportunity for Ramkaj) का अवसर मिला है। उनके बनाए सहस्र छिद्र कलश (Thousand hole pot) से ही रामलला का अभिषेक (Abhishek of Ramlala.) होगा। वाराणसी के काशीपुरा में पांच पीढ़ियों से भगवान के बर्तन बनाने वाले लालू को पूजन व अभिषेक के लिए बर्तन बनाने का आदेश मिला, तो इसे रामजी की कृपा बताया।
चार दिन में तैयार हुआ कलश
रामलला के विग्रह को 1008 छिद्रों वाले कलश से स्नान कराया जाएगा। लालू ने बताया कि इसे तैयार करने में चार दिन लगे हैं और इस पर चांदी की पॉलिश कराई जा रही है। लालू का परिवार बाबा विश्वनाथ, गोपाल मंदिर चौखंभा सहित काशी के कई देवी मंदिरों में बर्तन, अर्घा, चरण, पत्तर, शृंगी और मुखौटा बनाने का काम कर चुका है। कुछ दिन पहले लालू ने कोलकाता में राजराजेश्वरी मंदिर के लिए सहस्र छिद्र वाले कलश का निर्माण किया था।
प्राण प्रतिष्टा की तैयारी जोरों पर
इन दिनों राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर है। मगर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले श्रीराम का भव्य 75वां प्राकट्य महोत्सव आनंद, उल्लास और वैभव के साथ मनाने की तैयारी है। 1949 में राममंदिर में वर्तमान स्वरूप में श्रीराम के प्रकट होने के साथ यह आयोजन शुरू हुआ था। इस बार रामलला अपने नए मंदिर में आ रहे हैं। ऐसे में तीन दिनी आयोजन भी खास होने जा रहा है।
श्रीरामजन्मभूमि सेवा समिति के कोषाध्यक्ष आचार्य सत्येंद्र दास वेदांती बताते हैं, 1949 में बाबा अभिराम दास के स्वप्न में भगवान आए और राममंदिर (तब विवादित स्थल) में अपने प्रकट होने का ज्ञान दिया था। बाबा रात में ही पांच संतों के साथ स्वप्न में दिखाए गए स्थल पर पहुंचे, तो भगवान वहां दिव्य व अलौकिक मूर्ति (वर्तमान में टेंट में विराजमान) के रूप में मौजूद थे। बाबा ने विधि-विधान से आरती-पूजन किया। तबसे आज तक पौष शुक्ल पक्ष की तृतीया को इस महोत्सव का आयोजन हो रहा है। इस महोत्सव का नेतृत्व मंदिर आंदोलन के अगुवा महंत रामचंद्र परमहंस दास से लेकर श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास तक करते रहे हैं। नृत्य गोपाल अब संरक्षक हैं।
तीन दिनी महोत्सव
12 जनवरी को कलश पूजन।
13 को श्रीसूक्त, पुरसूक्त व लक्ष्मी सूत्र तथा रामचरितमानस सुंदरकांड का पारायण होगा।
14 को पूर्णाहुति के साथ विशाल शोभायात्रा निकलेगी और रामकोट की परिक्रमा की जाएगी।
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