नई दिल्ली। कांग्रेस ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 100 दिन पूरा होने की पृष्ठभूमि में शनिवार को सरकार पर अन्नदाताओं के साथ ‘अत्याचार करने’ का आरोप लगाया और कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार सुनिश्चित होने से ही आंदोलनकारी किसानों की जीत का रास्ता खुलेगा।
मुख्य विपक्षी पार्टी ने देश के मध्यम वर्ग सहित समाज के विभिन्न तबकों से किसानों का समर्थन करने की अपील भी की और यह मांग फिर उठाई कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए तथा इसके बाद किसान संगठनों से बातचीत कर नए कानूनों की पहल की जानी चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”देश की सीमा पर जान बिछाते हैं जिनके बेटे, उनके लिए कीलें बिछाई हैं दिल्ली की सीमा पर। अन्नदाता मांगे अधिकार, सरकार करे अत्याचार!” पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार अपने अहंकार में किसानों की आवाज को अनसुना कर रही है।
उन्होंने एक बयान में कहा, ”भाजपा सरकार ने इन बीते 100 दिनों में किसानों के साथ क्रूरता, निर्दयता और बर्बरता की सारी हदें पार दी हैं। यह सरकार अपने बहुमत के अहंकार में अंधी हो गई है। उसे सत्ता के स्वार्थ के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता है।”
सुरजेवाला ने कहा, ”इन पांचों राज्यों में मोदी सरकार की पराजय किसानों की निजी क्षेत्र में समर्थन मूल्य दिए जाने और किसान विरोधी काले कानूनों को वापस लिए जाने की जीत का रास्ता खोलेगी । आइये ,’भाजपा की हार’ और ‘देश की जीत’ का मार्ग प्रशस्त करें।” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी ट्वीट कर आरोप लगाया कि ‘अहंकारी’ सरकार किसानों पर प्रहार और उनका तिरस्कार कर रही है।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ”किसानों के आंदोलन के 100 दिन हो गए। इन 100 दिनों में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई। इस दौरान किसानों को अपमानित किया गया, लेकिन बड़ी संख्या में किसान अब भी बैठे हुए हैं। वे सरकार के उस फोन कॉल की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसका वादा प्रधानमंत्री ने किया था।”
उन्होंने दावा किया, ”आंदोलन दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, लेकिन खबरों से गायब है। विमर्श के इस आंदोलन को गायब करने के लिए सरकार कई हथकंडे अपना रही है और षडयंत्र कर रही है।” उन्होंने कहा, ”किसानों को सरकार से उम्मीद नहीं है, लेकिन देश से उम्मीद है। अगर लोग मौन समर्थन भी देंगे तो देश का बहुत भला होगा।”
उल्लेखनीय है कि पिछले 100 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कई किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने की है। दूसरी तरफ, सरकार ने तीनों कानूनों को कृषि सुधारों की दिशा में बड़ा कदम करार देते हुए कहा है कि इससे किसानों को लाभ होगा और अपनी उपज बेचने के लिए उनके पास कई विकल्प होंगे।
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