इंदौर (indore)। मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) से एक हैरान कर देनेवाली खबर सामने आई है। इंदौर जिला अस्पताल (Indore District Hospital) की खामियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में आने वाले 17 पुलिस थानों के शवों को रखने के लिए अस्पताल में डीप फ्रीजर (deep freezer) की व्यवस्था तक नहीं है।
ऐसा नहीं है कि यहां पर डीप फ्रीज़र नहीं था। 2007 में एक समाज सेवी संस्था ने जिला अस्पताल को एक फ्रिजर गिफ्ट किया था, लेकिन गिफ्ट होने के कारण अफसरों ने उसकी केयर तक नहीं की. नतीजा यह रहा कि कुछ समय में ही वह खराब हो गया और अब लाशों को रखने के लिए इंतजाम तक नहीं है।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार के सुस्त रवैया के कारण जिला अस्पताल के भवन निर्माण में तो लापरवाही हो ही रही है। वहीं अब डॉक्टरों और अधिकारी अपनी मनमानी करने पर उतारू है। हाल ही में जिला अस्पताल की मर्क्युरी में कई शव क्षत विक्षत अवस्था में पाए गए थे। निजी संस्थाओं द्वारा कलेक्टर को की गई शिकायत के बाद कलेक्टर ने जहां सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप गोयल को तलब किया था वहीं साथ में पहुंचे मर्क्युरी विभाग के डॉक्टर भरत वापजेयी को अच्छी खासी लताड़ भी लगाई थी।
इंदौर शहर की आबादी 35 लाख से ज्यादा है। इंदौर के अलावा भी आसपास की कुछ लाशें इंदौर में पोस्टमार्टम के लिए कभी कभार आती है। ऐसे में जबकि बड़ी संख्या में लाशों का पोस्टमार्टम यहां होता हो तो शवों को रखने के लिए की गई व्यवस्थाओं पर सवाल उठना लाजमी है। इस मामले में जब कलेक्टर इलैया राजा टी तक शिकायत पहुंची तो उन्होंने सीएसआर एक्टिविटी के तहत कुछ प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन से डीप फ्रीजर लगवाने की बात कही है। वहीं जो पुराना फ्रीज़र है उसे ठीक करवाने का भरोसा भी दिया है।
सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप गोयल के अनुसार अज्ञात शव को पोस्टमार्टम के बाद तीन दिनों तक सुरक्षित रखने का प्रावधान है। जिसके बाद नगर निगम द्वारा अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कराई जाती है। 2009 तक व्यवस्थाएं ठीक थी, लेकिन निजी संस्था द्वारा उपहार में दिए गए फ्रिजर के रखरखाव और सुधार के लिए सरकारी बजट न होने के कारण बंद पड़ा है।
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