भोपाल। प्रदेश की बिजली कंपनी वित्तीय नुकसान की भरपाई चाह रही है। पिछले पांच साल में करीब 32 हजार करोड़ रुपये का अंतर बताया जा रहा है। इस भारी भरकम अंतर की राशि बिजली कंपनी उपभोक्ताओं से वसूलने की अनुमति चाह रही है। वूसली के आंकड़ों को देखे तो नुकसान की कुल रकम में 32 सौ करोड़ रुपये ऐसे हैं जो बिजली कंपनी डिफाल्टर बिजली उपभोक्ताओं से बिल के तौर पर वसूल नहीं पाई है। आसान शब्दों में कहें तो डिफाल्टर उपभोक्ता के हिस्से का नुकसान भी आम जनता से वसूलने के लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगाई गई है। अब मप्र विद्युत नियामक आयोग ने इस मामले में 31 दिसंबर तक आपत्ति बुलाई है। 5 जनवरी को इस मामले में सुनवाई होगी। यह ऐसे उपभोक्ता होते हैं, जिससे बिजली बिल का बकाया वसूल कर पाने में कंपनियां हाथ खड़े कर देती हैं। वसूली नहीं कर पाने की स्थित में इसे डूबत खाते में डाल दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो यह प्रदेश का एक बड़ा स्कैंडल है। इसमें बड़े उद्योगपतियों के बिल माफ करने का खेल किया जाता है। इसकी मलाई में सभी बंदरबांट करते हैं। सूची सार्वजनिक न होने से ऐसे चेहरे अभी तक बेनकाब नहीं हो पाए।
बिजली कंपनियों ने लगाई सत्यापन याचिका
बिजली की दरों में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर चुकी कंपनियां आम उपभोक्ताओं को एक बार फिर झटका देने की तैयारी में हैं। पावर मैनेजमेंट कंपनियों की ओर से मप्र विद्युत नियामक आयोग में सत्यापन याचिका दायर की गई है। वर्ष 2018-19 की इस राशि की भरपाई अब करने के लिए गुहार लगाई है कि बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी कर इसकी भरपाई कराई जाए। पावर मैनेजमेंट की ओर से पेश की जाने वाली टैरिफ याचिका में डूबत खातों का विवरण दिया जाता है।
डिफाल्टरों की सूची सार्वजनिक कराए आयोग
विद्युत मामलों के जानकार अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल और राजेश चौधरी ने बताया कि कंपनियां हर बार मनमानी करती हैं। पहले नियमों को ताक पर रखकर डिफाल्टर उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिया जाता है। इसके बाद इसकी भरपाई नियमित और ईमानदारी से बिजली बिल का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं से की जाती है। उन्होंने आयोग से आग्रह किया है कि ऐसे डिफाल्टरों की सूची सार्वजनिक की जाए। इससे पता चलेगा कि ऐसे कौन लोग हैं। साथ ही इसकी जवाबदारी तय करते हुए अधिकारी-कर्मचारियों से भरपाई करनी चाहिए।
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