नई दिल्ली। सरकार के उपायों और कुछ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने के प्रयासों के साथ आम आदमी के जीवन स्तर में तेजी से सुधार आएगा। अगले पांच साल (five years) में भारतीयों (Indians) की प्रति व्यक्ति आय (per capita income) 2,000 डॉलर (2000 dollars) बढ़ जाएगी। वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार हमें 2,730 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगे, लेकिन इसमें 2,000 डॉलर और जोड़ने में सिर्फ पांच वर्ष लगेंगे। यह वास्तव में भारतीयों का युग होगा।
वित्त मंत्री ने शुक्रवार को कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण में कहा, भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी 1.4 अरब आबादी (वैश्विक आबादी का 18 फीसदी) के लिए कुछ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का प्रयास करेगा।
घटी है असमानता
वित्त मंत्री ने कहा, देश में असमानता में कमी आई है। असमानता को मापने के लिए सांख्यिकीय उपाय गिनी गुणांक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार दर्शाता है। उन्होंने कहा, यह असमानता में कमी के साथ हासिल किया जा रहा है, क्योंकि ग्रामीण भारत के लिए गिनी गुणांक (आय असमानता सूचकांक) 0.283 से घटकर 0.266 रह गया है।। शहरी क्षेत्रों के लिए यह 0.363 से घटकर 0.314 रह गया है।
दुनिया के लिए समृद्धि लाएगा विकसित भारत
सीतारमण ने कहा, भारत 2047 तक जब अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर लेगा, तब नए भारतीय युग की मूल विशेषताएं विकसित देशों के समान होंगी। विकसित भारत विचारों, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के जीवंत आदान-प्रदान का केंद्र बनकर न सिर्फ भारतीयों के लिए बल्कि शेष विश्व के लिए भी समृद्धि लाएगा।
बैंकिंग प्रणाली मजबूत, एनपीए में आई कमी
देश की वित्तीय प्रणाली पर वित्त मंत्री ने कहा, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार, खराब कर्जों के लिए प्रावधान में वृद्धि, निरंतर पूंजी पर्याप्तता और लाभप्रदता में वृद्धि पर नीतिगत रूप से लगातार ध्यान देने से देश की वित्तीय प्रणाली एवं बैंक मजबूत व सुदृढ़ हैं। एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) अनुपात कई साल के निचले स्तर पर है। बैंकों के पास अब कर्ज वसूली की कुशल व्यवस्था है।
भारतीय युग को युवा आबादी से मिलेगा बल
वित्त मंत्री ने भारतीय युग को आकार देने वाली ताकतों का जिक्र करते हुए कहा, देश की युवा आबादी उत्पादकता में सुधार, बचत और निवेश के लिए एक बड़ा आधार प्रदान करती है। उन्होंने कहा, 43 फीसदी भारतीय 24 साल के कम उम्र के हैं। उन्हें अभी तक अपने उपभोग व्यवहार का पता नहीं है। यह संकेत है कि आने वाले दशक में घरेलू खपत में वृद्धि होगी।
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