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    जीभ का रंग बताएगा आपकी सेहत का हाल, इन 5 संकेतों को भूलकर भी न करें इग्‍नोर

  • April 10, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। शरीर को लगने वाली कई बीमारियों (diseases) के लक्षण अक्सर जीभ पर दिखाई दे जाते हैं. जब मरीज शारीरिक जांच के लिए जाते हैं तो डॉक्टर उनसे सबसे पहले अपनी जीभ दिखाने के लिए कहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जीभ कई हेल्थ प्रॉब्लम्स (health problems) के बारे में बता सकती है. जीभ के कलर में होने वाले बदलावों को देखकर डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि आपका स्वास्थ्य ठीक है या नहीं और आपको क्या समस्या है. आइए जानते हैं कि जीभ आपके स्वास्थ्य से जुड़े कौन-कौन से राज खोल सकती है.

    जीभ खोलेगी हेल्थ से जुड़े राज
    1. बर्निंग माउथ सिंड्रोम:
    ये एक ऐसी समस्या है, जिसमें जीभ और तालु सहित पूरे मुंह में जलन महसूस होने लगती है. इसकी वजह से गले में दर्द और स्वाद में बदलाव की समस्या पैदा होती है.


    2. मुंह के अंदर सफेद दाग:
    जीभ पर सफेद धब्बे (white spots) दिखाई देना यीस्ट इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है. ये समस्या आमतौर पर बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है. जीभ पर सफेद धब्बे ल्यूकोप्लाकिया की समस्या का सिग्नल भी देते हैं. ज्यादातर ल्यूकोप्लाकिया के पैचेस कैंसर वाले नहीं होते हैं. हालांकि कुछ कैंसर की शुरुआत के संकेत हो सकते हैं. तंबाकू खाने वाले लोगों में ये दिक्कत ज्यादा बढ़ती है.

    3. जीभ पर बाल:
    कई लोगों के जीभ पर काली मोटी परत चढ़ जाती है और बाल उगने जैसी समस्याएं भी देखी जाती है. इस बीमारी को ब्लैक हेरी टंग सिंड्रोम कहा जाता है. ब्लैक हेरी टंग सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है. ऐसा तब होता है, जब त्वचा पर मृत कोशिकाएं उभरने लगती हैं. जिसकी वजह से जीभ पर काली मोटी परत चढ़ जाती है.

    4. काली जीभ:
    एंटासिड टेबलेट का सेवन करने वाले लोगों और डायबिटीज के मरीजों (patients with diabetes) को यह समस्या हो सकती है. इन टेबलेट में बिस्मथ मेटल होता है. ये मेटल सल्फर के साथ मिल जाता है, जो मुंह और डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मौजूद होता है. इन दोनों के मिलने की वजह से जीभ कभी-कभी काली हो जाती है. सही उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है.

    5. लाल जीभ:
    जीभ का लाल होना कावासाकी डिजीज का संकेत हो सकता है. ये रोग पूरे शरीर में ब्लड वैसल्स और वास्कुलिटिस की वॉल्स में सूजन का कारण बनता है. कावासाकी रोग वाले अधिकतर बच्चे 1 से 5 साल की उम्र के बीच होते हैं. हालांकि ये बीमारी शिशुओं और बच्चों के साथ-साथ किशोरों को भी प्रभावित कर सकती है. स्कार्लेट फीवर वाले मरीजों में भी कई बार लाल जीभ की समस्या देखी जाती है.

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के उद्देश्‍य से पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.

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