नई दिल्ली। हस्तरेखा विज्ञान (Science) में राहु रेखाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जो रेखाएं राहु के क्षेत्र से गुजरती हों और आड़ी भी हों वे राहु रेखाएं (Rahu lines) होती हैं। राहु रेखाएं व्यक्ति के जीवन में समस्याएं पैदा करती हैं। इसी कारण से राहु रेखाएं परेशानी की रेखा भी कही जाती हैं। यदि राहु रेखाएं जीवन रेखा को नहीं छू रही हैं तो ये परेशानी की रेखाएं होती हैं। इससे पता चलता है कि व्यक्ति मानसिक रूप(mentally) परेशान है। ये रेखाएं व्यक्ति की चिंता को दर्शाती हैं, लेकिन यदि ये रेखाएं लंबी (long lines) होकर राहु क्षेत्र से गुजरती हैं तो ये रेखाएं पूरी तरह से राहु की रेखाएं कहलाती हैं।
इन रेखाओं का असर केवल मानसिक स्तर पर नहीं होता बल्कि व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं। राहु रेखाएं हल्की, मध्यम और बहुत मोटी हो सकती हैं। यदि राहु की रेखाएं बहुत हल्की हैं तो जीवन में परेशानी बेहद कम होंगी और व्यक्ति इन समस्याओं(problems) को आराम से झेल लेता है। मध्यम राहु रेखाएं थोड़ा ज्यादा कष्ट देती हैं, लेकिन मोटी राहु रेखाएं व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा देती हैं। राहु की रेखाएं जितनी लंबी होंगी, उसका असर जीवन में उतना ही लंबा होता है।
राहु रेखाएं जहां-जहां तक पहुंचती हैं उनका प्रभाव जीवन के उस हिस्से तक पड़ता है। राहु रेखाएं जितनी लंबी होती हैं उतनी ही परेशानी होती है। यदि राहु रेखा लंबी होकर विवाह रेखा से टकरा जाए तो ऐसे लोगों का वैवाहिक अनुभव बेहद दुखद रहता है। इस तरह के लोगों का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है। हस्तरेखा के अनुसार एक रेखा का प्रभाव दो से चार महीने तक होता है, लेकिन यदि रेखाएं बहुत गहरी हैं तो इनका असर दो से ढाई साल तक रहता है। यदि राहु रेखा से टकराकर भाग्य रेखा रुक जाए तो ऐसे व्यक्ति का काम-धंधा पूरी तरह से चौपट हो जाता है। यदि राहु रेखा टकराने के बाद भाग्य रेखा आगे बढ़ती रही तो ऐसे व्यक्ति समस्याओं से जल्दी बाहर आ जाता है। इस स्थिति में राहु रेखा व्यक्ति के जीवन को प्रभावित तो करती हैं, लेकिन इसके बाद आगे का जीवन व्यक्ति फिर से खड़ा हो जाता है। लेकिन यदि राहु से टकराने के बाद भाग्य रेखा आगे ना बढ़े तो व्यक्ति का जीवन अच्छा नहीं रहता। इस तरह के लोगों का काम-धंधा लगभग बंद हो जाता है।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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