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    कलेक्टर व्यस्त, अधिकारी मस्त, आवेदक पस्त, और जनआकांक्षा पोर्टल ठप

  • June 19, 2024

    नहीं हो सके आवेदन दर्ज…भटकते रहे आवेदक… सरकारी घर की दीवारों पर करंट आने की शिकायत पहुंची

    इंदौर। संभाग स्तरीय बैठक (Division level meeting) और मुख्यमंत्री (CM) के कार्यक्रम में व्यस्तता (busy) के चलते कलेक्टर (collector) जनसुनवाई (Public Hearing) में नहीं पहुंचे तो अधिकारी (officer) मनमर्जी करते नजर आए 12 बजने के पहले ही जहां अधिकारी नदारद हो गए, वहीं जनआकांक्षा पोर्टल (Jan Aakanksha portal) नहीं चलने के कारण आवेदन लेने में धांधली सामने आई। ऑपरेटर गलत कक्षो में आवेदकों को पहुंचाते रहे और आवेदक धक्के खाते रहे। दिव्यांगों को न व्हील चेयर नसीब हुई न न्याय।


    भोपाल से संचालित हो रहे जनआकांक्षा पोर्टल का सर्वर डाउन होने के चलते जनसुनवाई में आने वाले आवेदकों की कल खूब फजीहत हुई। पोर्टल नहीं चलने के कारण आवेदकों को कच्ची पर्ची पर रसीद काटकर दी गई। गलत मार्किंग के चलते देर शाम तक आवेदक परेशान होते रहे। गंभीर बात यह है कि इन आवेदनों की न ट्रैकिंग हो सकेगी न ही आवेदक दावा कर सकेगा कि वह संबंधित अधिकारी को शिकायत कर चुका है। जानकारों ने बताया कि 200 से अधिक आवेदन किस अधिकारी के पास गए, जानकारी ही नहीं मिल सकेगी, वहीं इन आवेदनों का निराकरण हुआ या नहीं , कोई ट्रैकिंग नहीं हो सकेगी मतलब आवेदकों के आवेदन… ढूंढते रह जाओगे….।

    बड़े अधिकारी का डंडा जरूरी
    नई व्यवस्था के अनुसार विभागों को अपने-अपने कक्ष में जनसुनवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उच्च अधिकारियों के कलेक्टर कार्यालय में मौजूद न होने के कारण सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित कई विभागों ने आवेदकों से पल्ला झाड़ते हुए जनसुनवाई कक्ष का रास्ता दिखा दिया गया। जिन आवेदकों की सुनवाई कलेक्टर ने जमीन में बैठकर की थी, उन्हें न व्हीलचेयर नसीब हुई, न ही न्याय आवेदक जमीन पर घिसटते नजर आए। सामाजिक न्याय विभाग में आवेदन लेकर आवेदकों को जब चलता किया गया तो वे कलेक्टर से मिलने प्रथम मंजिल पर घीसटते हुए पहुंचे। जमीन पर दोनों हाथों के सहारे चल रही महिला को न्याय के लिए भटकाया गया। महिला ने बताया कि वह कई जनसुनवाई से आवास के लिए भटक रही है। मुख्यमंत्री ने लाड़ली बहनों को पक्के मकान देने की घोषणा की है पर यहां अधिकारी तो सुन ही नहीं रहे। दृष्टिहीन सुनीता चौहान अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाई कि 600 रु. महीना पेंशन और 5 किलो राशन भूख नहीं मिटा पा रहा। बूढ़े मां-बाप को भी पालना मुश्किल पड़ रहा है।

    सरकारी घर मार रहा करंट
    लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत बने मकान रहवासियों की परेशानी का सबब बन रहे हैं। सिमरन कौर सलूजा पिता गुरुचरण सलूजा ने बताया कि लाइटहाउस प्रोजेक्ट के तहत लिया गया फ्लैट करंट मार रहा है। पहली ही बारिश नहीं झेल पाए इस फ्लैट में सीलन और पानी भरने की समस्या सामने आ रही है। दीवारों को छूने से करंट लग रहा है। कल देर रात सीलन के चलते स्विच बोर्ड में ब्लास्ट हो गया। लंबे समय से शिकायत के बावजूद भी कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। नगर निगम के ठेकेदार व ऑब्र्जवेशन ऑफिसर शरद गुप्ता व काशीनाथ किंगे ने सिर्फ आश्वासन दिया, वही अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा ने शिकायत की जांच कराई तो जांचकर्ता कर्मचारी बोले कि 6 लाख में इतना ही मिलेगा।

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