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    बारिश के साथ ही शहर की आबोहवा हुई ‘साफ’

  • July 03, 2023

    File Photo

    इंदौर, विकाससिंह राठौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, लेकिन बारिश होती है तो शहर को इससे भी निजात मिलती नजर आ रही है। साल में पहली बार पिछले दो दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 50 अंकों से भी नीचे पहुंच गया है, जो सबसे अच्छा माना जाता है।


    मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर में वायु प्रदूषण की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। इसके लिए ऑटोमैटेड सेंटर्स के साथ ही मैन्यूअल सेंटर भी हैं। ऑटोमैटेड सेंटर में सबसे प्रमुख है रीगल सर्कल पर लगा सेंटर, जिसे कंटिन्यूअल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन भी कहा जाता है। इस सेंटर पर हर पल की वायु प्रदूषण की गणना की जाती है। इस सेंटर पर पिछले दो दिनों यानि 1 और 2 जुलाई को वायु प्रदूषण का स्तर सबसे कम दर्ज किया गया है। अन्य सेंटर्स पर पिछले समय में जरूर प्रदूषण का स्तर कम रहा है, लेकिन वे ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मुख्य शहर की अपेक्षा प्रदूषण का स्तर कम ही रहता है।

    प्रदूषण कम होना शहर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत

    शहर में वायु प्रदूषण कम होना शहर के स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है। वायु प्रदूषण से सांस से जुड़े कई तरह के रोग होते हैं। इस समय कई तरह के इंफेक्शन भी चल रहे हैं। ऐसे में लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। अगर हवा में ज्यादा प्रदूषण होता है तो यह मरीज की समस्या को और बढ़ा देता है, जबकि प्रदूषण कम होने से कई तरह के रोग पनप ही नहीं पाते हैं। – डॉ रवि डोसी, वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ

    जून में 11 दिन प्रदूषण का स्तर रहा 100 अंकों से ज्यादा

    रीगल सेंटर पर ही पिछले माह को देखें तो सामने आता है कि 30 में से 11 दिन ऐसे थे, जब वायु प्रदूषण का स्तर 100 अंकों से ज्यादा था, जिसे अच्छा नहीं माना जाता है, वहीं माह के तीन दिन तकनीकी कारणों से प्रदूषण की गणना नहीं हो पाई। शेष दिनों में भी प्रदूषण का स्तर 100 अंकों से कम, लेकिन 50 अंकों से ज्यादा ही रहा है, लेकिन जुलाई की शुरुआत से ही प्रदूषण का स्तर लगातार 50 अंकों के नीचे बना हुआ है। 1 जुलाई को जहां एक्यूआई 43 अंक पर था, वहीं 2 जुलाई को 47 अंकों पर रहा।

    बारिश ने रोका प्रदूषण, शहर में कई जगह खुदाई से हो जाती है हालत खराब

    विशेषज्ञों की माने बोर्ड द्वारा वायु प्रदूषण के मुख्य घटक पीएम-10 (पर्टिकुलेट मेटर) यानी वे सूक्ष्म धूप कण, जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर से भी कम होता है और जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हुए गंभीर बीमारियों के कारण बनते हैं कि मुख्य रूप से मॉनिटरिंग की जाती है। इसके साथ ही पीएम-2.5 और अन्य गैसों की भी मॉनिटरिंग के साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) निकाला जाता है। इसमें धूल कण प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इस समय शहर में कई स्थानों पर अलग-अलग कामों के लिए खुदाई और निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ सकता है, लेकिन बारिश होने से धूल के कण हवा में नहीं जा पाते हैं और हवा साफ रहती है।

    बारिश बड़ा कारण, साथ में प्रदूषण कम करने के लिए हो रहे कई प्रयास

    वरिष्ठ वैज्ञानिक व पर्यावरणविद डॉ डीके वाघेला ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बारिश के कारण वायु प्रदूषण में कमी आई है। इसके साथ ही शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई तरह के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके तहत शासन द्वारा नॉन अटेनमेंट सिटी एक्शन प्लान के अंतर्गत चौराहों पर ट्रैफिक टाइम को कम करते हुए लेफ्ट टर्न बेहतर करने से लेकर सडक़ों का रखरखाव बेहतर करना, सफाई व्यवस्था में भी लगातार सुधार, किनारों तक सडक़ों को पक्का करने जैसे काम हो रहे हैं। पौधारोपण भी बढ़ा है। इन प्रयासों से भी प्रदूषण में कमी आ रही है।

    ऐसे समझे प्रदूषण के स्तर को
    0 से 50 – अच्छा (गुड)
    50 से 100 – संतोषजनक (सेटिस्फेक्टरी)
    101 से 200 – मध्यम (मोडरेट)
    201 से 300- खराब (पुअर)
    301 से 400 – बहुत खराब (वेरी पुअर)
    401 से 500 – अतिगंभीर (सीवर)

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