इन्दौर। लॉकडाउन (Lockdown) की किस्तें झेलते शहर (city) मेें फिलहाल 30 मई तक बंदिशों का ऐलान किया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि इसके बाद 1 जून से शहर को उसी तरह राहत (relief) मिल सकेगी, जैसी पिछले साल इसी तारीख से टुकड़े-टुकड़े में छूट मिली थी। यह और बात है कि पिछले साल लोग राहत के लिए उतावले थे, लेकिन इस साल वो खुद इतने डरे हुए हैं कि न उनमें राहत (relief) की चाहत और न ही जोखिम से जंग लडऩे का साहस है, इसीलिए यदि छूट मिली भी तो लोग घर से सोच-समझकर ही निकलेंगे।
इस साल के एक माह के लॉकडाउन (Lockdown) में लोगों ने इतना कुछ झेला कि देखने-सुनने में ही रूह कांप गई…कई अपने बिछड़ गए… कई के सपने बिखर गए। आज शहर (city) में कोई ऐसा घर, गली या मोहल्ला नहीं बचा जहां कोरोना का कहर नहीं टूटा। इस माहौल में राहत की बात यह है कि आधे शहर को शिकार बना चुकी महामारी अब वापसी का रुख कर रही है। केस घट रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज बढऩे की आशंका के चलते व्यापार-कारोबार को राहत देने से हिचकता प्रशासन 1 जून से शहर में कुछ गतिविधियों से धीरे-धीरे प्रतिबंध हटा सकता है, जिसमें सैलून, रेस्टोरेन्ट की होम डिलीवरी के साथ उद्योग उत्पादन के लिए राहत एवं हर दिन छोटे-छोटे व्यापार की गतिविधियों को मुक्त करना शामिल रहेगा।
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