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    शहर तप रहा लेकिन मासूमों को नहीं दी जा रही स्कूल से छुट्टी

  • May 27, 2024

    • 6 साल तक के 1 लाख 80 हजार मासूम अनदेखी का शिकार
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर टारगेट प्रेशर, घर-घर से निकालकर ला रहीं मासूमो को

    इंदौर। एक तरफ तो सूरज के तेवर शबाब पर होने के कारण शहर तप रहा है। हर दिन 40 से 45 डिग्री तक तापमान लू की तपन बढ़ा रहा है। जहां दिन के साथ-साथ रातें तक तप रही हैं, वहीं अधिकारियों की तानाशाही के चलते 1 लाख 80 हजार बच्चे आंगनवाडिय़ों में तपने को मजबूर हैं। 0- 6 साल तक के नौनिहालों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। स्कूली बच्चों को तपन से राहत दिलाने के लिए छुट्टी घोषित की जा चुकी है, लेकिन आंगनवाडिय़ों के बच्चों के लिए छुट्टियां सपना साबित हो रही हैं। कार्यकर्ता जबरदस्ती बच्चों को तपती धूप में आंगनवाड़ी लाने को मजबूर हैं।

    प्रशासन चुनाव आचार संहिता के प्रोटोकॉल पूरा करने और नेता व जनप्रतिनिधि अपनी सीट बचाने में जुटे हुए हैं। जिस जनता के मतों से विजय तिलक अपने माथे पर लगाने का जनप्रतिनिधि सपना देख रहे हैं उन्हीं की सुध लेना भूल बैठे हैं। 44 डिग्री टेंपरेचर होने के बावजूद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को आंगनवाड़ी तक खींचकर ला रही हैं। कार्यकर्ताओं की मजबूरी है कि उन्हें अपना टारगेट पूरा करना है। लेकिन ऐसे में शासन-प्रशासन द्वारा छुट्टी घोषित नहीं किया जाना कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है।


    स्वास्थ्य के लिए बुलाती हैं… और हालत खराब हो जाती है
    एक ओर जहां गर्मी चिंघाड़ रही है, वहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी पोषण आहार के नाम पर बच्चों को केंद्रों पर बुला रही हैं। 0 से 6 वर्ष तक के इन बच्चों के स्वास्थ्य का पाक्षिक चार्ट तैयार किया जाता है। उनका हर दिन वजन और शारीरिक विकास की रिपोर्ट हर माह विभाग में जमा कराई जाती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी आहार और आयरन, कैल्शियम की गोलियां बांटने के लिए बुलाया जाता है। बच्चों और महिलाओं को स्वास्थ्य के लिए बुलाया जाता है, लेकिन आने-जाने में उनकी हालत खराब हो जाती है।

    पूरे प्रदेश में मांग, पर नहीं किसी का ध्यान
    इंदौर संभाग सहित पूरे मप्र में लगभग 97 हजार 289 आंगनवाडिय़ों में बच्चे प्रतिदिन बुलाए जा रहे हैं। लू की तपन और गर्मी के बावजूद बच्चों को आंगनवाडिय़ों में लाना जहां कार्यकर्ताओं की मजबूरी बन गया है, वहीं इस मजबूरी की खातिर उन्हें परिवारजनों की दुत्कार भी झेलना पड़ रही है। इंदौर संभाग के आठ जिलों में 17206 आंगनवाडिय़ां संचालित हैं। नर्मदापुरम् संभाग में 4817, भोपाल के पांच जिलों में 9978, रीवा के 6 जिलों में 9924, शहडोल के तीन जिलों में 3547, सागर के 6 जिलों में 9703, उज्जैन के सात जिलों में 10765, चंबल संभाग में 6310, वहीं जबलपुर और ग्वालियर संभाग में क्रमश: 17376 व 7663 आंगनवाडिय़ां संचालित की जा रही हैं। इनमें प्रतिदिन आने वाले लाखों बच्चों को तपन झेलना पड़ रही है। हालांकि हाल ही में झाबुआ जिले की कलेक्टर ने आंगनवाडिय़ों का समय कम कर दिया है, लेकिन इन्हें भी छुट्टी नहीं मिली है।

    मिल रहे उलाहने और दुत्कार
    घर-घर पहुंच रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आंगनवाडिय़ों में धूप के चलते बच्चों की संख्या बिलकुल कम हो गई है। टारगेट पूरा करने के लिए वे घर-घर बच्चों को लेने जा रही हैं, लेकिन दादी, नानी और परिवारजनों के उलाहने ही नसीब हो रहे हैं। प्रतिदिन बच्चों को दिया जाने वाला पोषण आहार वितरित करना अनिवार्य है, जिसके चलते वे ऐसा करने को मजबूर हैं। ज्ञात हो कि इंदौर जिले की प्रत्येक आंगनवाड़ी में लगभग 100 से अधिक बच्चे प्राथमिक शिक्षा और पोषण आहार के लिए पहुंचते हैं। इस मान से जिले में लगभग 1 लाख 80 हजार मासूम झुलस रहे हैं।

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