नई दिल्ली: जस्टिस मनमोहन (Justice Manmohan) दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले जज (Judge) बन गए. बुधवार को उनकी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पदोन्नति हुई. हाईकोर्ट से विदाई के समय वह भावुक हो गए. आज गुरुवार को वह शीर्ष न्यायलय के जस्टिस की शपथ लेंगे. जस्टिस मनमोहन को 9 नवंबर 2023 को दिल्ली हाई कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. 29 सितंबर 2024 को उन्हें मुख्य न्यायाधीश बने. अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कानूनी इतिहास में कई रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने हाईकोर्ट में 6,142 दिनों का कार्यकाल पूरा किया. वह 37 साल के इतिहास में दूसरे व्यक्ति हैं उनको उनके मूल हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनाया गया.
जस्टिस मनमोहन को “दिल्ली का आइडियल प्रोडक्ट” भी कहा जाता है. उन्होंने अपने कार्यकाल में देश की राजधानी के लिए नासूर वाले दो प्रमुख मुद्दों की पहचान की. पहला- दिल्ली के मंत्रियों और उनके विभागीय अधिकारियों के बीच टकराव और दूसरा “रेवड़ी कल्चर”. उनकी पीठ ने दोनों को दिल्ली के लिए हानिकारक बताया. उन्होंने सरकारी अस्पतालों के पुनर्गठन, स्टॉर्म वॉटर ड्रेनों की मरम्मत, निजामुद्दीन दरगाह के पास अतिक्रमण हटाने, “शहरी गांवों” का म्यूटेशन, आवारा कुत्तों और बंदरों के खतरे से निपटने जैसे मामलों में अहम आदेश दिए.
उनके कई आदेश आज भी जममानस के लिए बताया जाता है. एक बार एमसीडी स्थायी समिति की नहीं होने के कारण छात्रों को किताबें और यूनिफॉर्म नहीं मिल रही थी, तब दिल्ली के सीएम केजरीवाल जेल में थे, जस्टिस मनमोहन की पीठ ने एमसीडी आयुक्त को 5 करोड़ रुपये मंजूरी देने की अनुमति दी, बिना किसी स्वीकृति का इंतजार किए. एक अन्य पीआईएल में उनकी पीठ ने दिल्ली के प्रशासकों की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह धारणा बदलनी होगी कि हर चीज मुफ्त में दी जा सकती है. इसकी वजह से सार्वजनिक सुविधाओं को सुधारने के लिए धन में कमी हो जाती है.
जस्टिस मनमोहन ने कई मौको पर दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग को जमकर लताड़ा है. उन्होंने शहर के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव से कहा कि यदि वे अस्पतालों को रेगुलेट करने वाले कानून के लिए लड़ते रहे, तो अदालत उन्हें “जेल भेज देगी”. उन्होंने कहा कि वे “सरकार के सेवक” हैं और “बड़े अहंकार” नहीं रख सकते. जस्टिस मनमोहन ने यूपीएससी के छात्रों की एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में जलभराव के कारण हुई मौतों के मामले में, उन्होंने दिल्ली के पुराने ड्रेनों जैसे बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया.
जस्टिस पीठ ने आवारा कुत्तों और बंदरों से उत्पन्न खतरे को भी उजागर किया. पशु प्रेमियों और बच्चों के पार्कों में खेलने या लोगों के स्वतंत्र रूप से चलने के अधिकार के बीच संतुलन बनाते हुए, जस्टिस मनमोहन ने कहा, ‘आवारा कुत्तों और बंदरों को शहर पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’ उन्होंने इसे एक वास्तविक समस्या बताते हुए ‘गलत सार्वजनिक सहानुभूति और जानवरों के प्रति प्रेम की धारणा’ को जिम्मेदार ठहराया.
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