नई दिल्ली । आरबीआई गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक (Central Bank) को ग्रोथ को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बीच (Between Promoting Growth and Controlling Inflation) एक नाजुक संतुलन बनाए रखने की (Maintain A Delicate Balance) चुनौती का सामना करना पड़ता है (Faces A Challenge) । दोनों के बीच टकराव की हमेशा संभावना रहती है।
दास ने कहा कि आरबीआई ने 2023 में अब तक प्रमुख नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है और 200 आधार अंकों की बढ़ोतरी अभी भी काम कर रही है। कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 को संबोधित करते हुए दास ने कहा मुझे लगता है कि ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी। वे कब तक ऊंची रहेंगी, समय ही बता सकता है। उन्होंने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति पर कड़ी नजर रख रहा है। उन्होंने कहा, हम मुद्रास्फीति पर अतिरिक्त सतर्क रहते हैं क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति पर दृष्टिकोण अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है।
दास ने कहा कि मैक्रो स्ट्रेस परीक्षणों से पता चलता है कि भारत के बैंक गंभीर परिस्थितियों में भी नियामक सीमा स्तरों का अनुपालन करने में सक्षम होंगे। हालांकि, उन्होंने भविष्य के संकटों को रोकने के लिए अच्छे समय के दौरान कमजोरियों की पहचान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को सतर्क रहना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय बाज़ार “छोटी सी जानकारी” के प्रति भी अत्यधिक संवेदनशील हो गए हैं। नीतिगत बदलावों और आर्थिक आंकड़ों पर वित्तीय बाजारों की प्रतिक्रिया नीति-निर्माण का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है।दास ने कहा कि इसके चलते आरबीआई समेत केंद्रीय बैंकों पर वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है।
आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक विकास में मंदी और मुद्रास्फीति सहित वैश्विक प्रतिकूलताओं को चिह्नित किया, जो एक चुनौती के रूप में उभरी हैं। उन्होंने कहा, हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय मजबूती दिखाई है।उन्होंने कहा कि मैक्रो स्ट्रेस परीक्षणों से संकेत मिलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से गंभीर आर्थिक परिदृश्यों में भी नियामक पूंजी स्तरों का अनुपालन करने की उम्मीद की जाती है।
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