उज्जैन। सहज योग की संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी के 100वें जन्मदिवस के अवसर पर पूरे विश्व में कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी कड़ी में उज्जैन में गुरुवार को चैतन्य रथ का नगर प्रवेश हुआ। इस उपलक्ष्य में पूरे दिन सहज योग ध्यान के कार्यक्रम हुए एवं शाम को शोभायात्रा रैली शहर के प्रमुख मार्गों से निकली। परम चैतन्य रथ यात्रा के प्रदेश प्रभारी महेन्द्र व्यास, उज्जैन प्रभारी शैलेंद्र कुल्मी एवं प्रेमचंद गुप्ता ने बताया कि एक वर्ष पूर्व श्रीमाताजी निर्मला देवीजी की जन्म स्थली छिंदवाड़ा से तीन रथ पूरे देश में सहज योग का प्रचार प्रसार करने एवं नए साधकों को आत्म साक्षात्कार देने के उद्देश्य से रवाना हुए थे और पूरे वर्ष इन तीन चैतन्य रथों द्वारा ना केवल भारत में वरन नेपाल में भी प्रचार प्रसार कर भ्रमण किया गया। छिन्दवाड़ा में 19 से 22 मार्च तक श्रीमाताजी का 100वां जन्म उत्सव महोत्सव मनाया जा रहा है एवं पूरे वर्ष भ्रमण कर तीनों रथ एक साथ 18 मार्च को वहाँ पहुँचेंगे। एक चैतन्य रथ 16 मार्च को सुबह बडऩगर रोड से उज्जैन पहुँचा।
इसके बाद मुल्लापुरा, चिंतामन गणेश मंदिर सिंधी कॉलोनी चौराहा, फ्रीगंज घंटाघर, कोयला फाटक चौराहा, निकास चौराहा बुधवारिया में आत्मसाक्षात्कार के कार्यक्रम हुए और आम लोगों को सहज योग ध्यान की विधि बतायी गई और परम चैतन्य की अनुभूति कराई गई। तत्पश्चात शाम को हरिफाटक पुल के नीचे स्थित रविशंकर नगर के उद्यान से चेतन्य रथ यात्रा निकली जिसमें बड़ी संख्या में सहज योगी कतारबद्ध होकर रैली के रूप में निकले। यह रथ यात्रा इन्दौर गेट, दौलतगंज, मालीपुरा, देवास गेट, चामुंडा चौराहा होती हुई संख्याराजे धर्मशाला पहुँची। इस दौरान मार्ग में भी चेतन्य रथ यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया एवं मुख्य स्थानों पर चैतन्य रथ के माध्यम से नए लोगों को आत्मसाक्षात्कार की विधि बताकर हाथ की हथेलियों एवं सिर के ऊपर तालू भाग पर चैतन्य की अनुभूति कराई गई। इस मौके पर रथ यात्रा समिति के सर्वश्री वीरेन्द्र निगम, अशोक वासुनिया, गजानंद रामी, शैलेन्द्र सेन, अजय वर्मा सहित बड़ी संख्या में सहज योगी शामिल हुए। देश में भ्रमण कर उज्जैन पहुंचा चेतन्य रथ आज 17 मार्च को उज्जैन से छिंदवाड़ा के लिए प्रस्थान करेगा। सहज योग की स्थापना श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा 5 मई 1970 को की गई थी एवं यह पूरी तरह नि:शुल्क है तथा सहज योग ध्यान के माध्यम से मनुष्य के अंदर की दिव्य शक्ति कुंडलिनी का जागरण हो जाता है। और वह परमात्मा के चैतन्य को अपने ऊपर महसूस करने लगता है तथा पूरी तरह से सुखी और आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved