नई दिल्ली। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ (Economic Affairs Secretary Ajay Seth) ने कहा है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से उधारी (Government Borrowing) जुटाने का कार्यक्रम गैर-बाधाकारी ढंग से चलाएगी और इससे निजी निवेश ( Private Investment ) पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा.
सेठ ने कहा कि सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध उधारी जुटानी है और सरकार इस आंकड़े पर टिकी रहेगी. उन्होंने कहा, ‘उधारी कार्यक्रम को गैर-बाधाकारी ढंग से अंजाम दिया जाएगा और इससे निजी क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा.”उन्होंने कहा कि छोटी बचत योजनाओं (small savings scheme) से होने वाले संग्रह के अपेक्षा से अधिक रहने की स्थिति में बाजार उधारी में कटौती भी की जा सकती है.
सरकार की 2022-23 में कुल 11.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना
सेठ ने कहा, ‘इस साल हमें छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. अगले साल यह आंकड़ा 4.25 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. लेकिन अगर छोटी बचत योजनाएं मौजूदा वर्ष की ही तरह आकर्षक बनी रहती हैं तो उनसे होने वाला संग्रह भी 2021-22 के स्तर पर रहेगा और तब बाजार से जुटाई जाने वाली उधारी भी कम हो जाएगी.’ सरकार की वित्त वर्ष 2022-23 में बाजार से कुल 11.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. कोविड-19 महामारी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार अपने खर्चों में बढ़ोतरी करने वाली है.
उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय मजबूती की राह पर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है और बजट में राजकोषीय घाटे को घटाकर 6.4 फीसदी पर लाने का प्रस्ताव रखा गया है. वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटे के 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. सेठ ने खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में कहा कि सरकार को इसके अगले वित्त वर्ष में दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार फीसदी रहने का अनुमान है.
सार्वजनिक निवेश बढ़ने से मांग बढ़ेगी, रोजगार पैदा होगा
इससे पहले सचिव खर्च बढ़ाने के फैसले को सही कदम बताते हुए कहा था कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की बजट घोषणा से सीमेंट, इस्पात और पूंजीगत उत्पादों की मांग पैदा होगी और नए रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में सार्वजनिक व्यय में 35.4 प्रतिशत वृद्धि का ऐलान करते हुए इसके 7.5 लाख करोड़ रुपये रहने की घोषणा की जो जीडीपी का 2.9 प्रतिशत होगा.
सेठ ने प्रत्यक्ष समर्थन उपायों का सिर्फ सीमित गुणक प्रभाव ही रहने का अनुमान जताते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को सतत रूप से मजबूती देने के लिए मध्यम से लेकर दीर्घावधि का प्रभाव डालने वाले कदमों की जरूरत है. उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ”आर्थिक प्रबंधन कोई एक साल का मामला नहीं है। इसे अल्पावधि, मध्यम या दीर्घावधि रूप में देखा जाना चाहिए। अल्पावधि में जरूरी कदम उठाए जा चुके हैं.”
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