नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central Government) ने शहरी नक्सलियों (Urban Naxalites) की कमर तोड़ने के लिए (To Break the Back) सुरक्षा बलों (Security Forces) को निर्देश दिए (Instructed) । सुरक्षा बलों को माओवादी रणनीतिकारों और उनके समर्थकों के शहरी नेटवर्क की पहचान करने और उन पर नकेल कसने के लिए कहा है। सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों ने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठन और नागरिक अधिकार संगठन भी रडार पर हैं, वे भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि नवीनतम खुफिया रिपोर्ट से पता चलता है कि कई शहरी माओवादी और उनके समर्थक विभिन्न शहरों में सक्रिय हैं और भूमिगत विद्रोहियों को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। रिपोर्ट में विभिन्न शहरों के कई शहरी माओवादियों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला गया है जो अंडरग्राउंड नक्सलियों को सहायता प्रदान कर रहे हैं। हालिया रिपोर्ट को देखेत हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा बलों से ऐसे अर्बन नक्सल और उनके समर्थकों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने को कहा है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे कुछ शहरों में माओवादियों के फ्रंट संगठन काम कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि इस तरह के फ्रंटल संगठन गैर सरकारी संगठनों और नागरिक अधिकार संगठनों की आड़ में काम करते हैं और माओवादियों को समर्थन प्रदान करते हैं। वे शिक्षित युवाओं को आंदोलन के समर्थकों के रूप में भर्ती करते हैं और विचारकों की भूमिका निभाते हैं। एक अन्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “सुरक्षा एजेंसियों को राज्य पुलिस बलों की मदद से माओवादी रणनीतिकारों और समर्थकों के खिलाफ समन्वित अभियान शुरू करने के लिए कहा गया है।”
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अक्टूबर को नक्सलवाद के सभी रूपों को जड़ से खत्म करने पर बल दिया था। वह राज्यों के गृह मंत्रियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा था, “एक साथ आना और स्थिति को संभालना समय की मांग है। नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला हो, देश के युवाओं को गुमराह करने से रोकने के लिए नक्सलियों को जड़ से उखाड़ना होगा।”
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