नई दिल्ली: ऊंची दरों पर तुरंत लोन देने वाली ऐप्स को लेकर सरकार सतर्क हो गई है. पिछले कुछ दिनों में इन ऐप्स से संबंधित ठिकानों और फिनटेक कंपनियों पर छापेमारी के बाद अब सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है. मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की है.
बैठक में फैसला लिया गया कि आरबीआई वैध ऐप्स की एक वाइट लिस्ट बनाएगा. इस सूची में शामिल ऐप्स को ही ऐप स्टोर में जगह दी जाएगी. इसके अलावा रेग्युलेटरी चैनल से बाहर काम कर रही अवैध ऐप्स को ऐप स्टोर से हटा दिया जाएगा ताकि लोग उन्हें डाउनलोड ही न कर सकें. आरबीआई ऐसे अकाउंट्स की मॉनिटरिंग करेगा जिनके जरिए मनी लॉन्डरिंग को अंजाम दिया जा सकता है.
पेमेंट एग्रीगेटर्स को होगा रजिस्ट्रेशन
आरबीआई एक निश्चित अवधि के अंदर पेमेंट एग्रीगेटर्स का रजिस्ट्रेशन करेगा. इस अवधि तक जिन एग्रीगेटर्स नहीं हो पाया उन्हें ऑपरेट नहीं करने दिया जाएगा. इसके अलावा कंपनी मामलों का मंत्रालय फर्जी कंपनियों की पहचान कर इनका पंजीकरण रद्द करेगा. वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अन्य कई उपायों पर चर्चा की गई जिससे लोन ऐप्स के जरिए की जा रही डिजिटल धोखाधड़ी को रोका जा सके.
कई आत्महत्याओं का कारण बने लोन ऐप्स
हाल में सामने आईं खबरों के अनुसार, इंस्टेंट लोन दे रहे ऐप्स लोगों से बहुत ऊंची ब्याज दरें वसूल रहे थे. इतना ही नहीं जब कर्ज लेने वाला व्यक्ति इन ऐप्स को फोन में डाउनलोड करता था तो उस फोन की सारी जानकारी लोन ऐप कंपनी का पास चली जाती थी जिनका मुख्य रूप से संचालन चीन से किया जा रहा था. इसके बाद उस निजी जानकारी का इस्तेमाल कर ये कंपनियां कर्जदार का उत्पीड़न करती थीं.
कई मामलों ऐसा पाया गया कि लोन पूरा चुकाने के बावजूद इन कंपनियों ने कर्जदारों का पीछा नहीं छोड़ा और उनकी जानकारी को सार्वजनिक करने की धमकी दी. इसी वजह से कई लोगों ने खुदकुशी कर ली. बेंगलुरु पुलिस द्वारा लगभग दर्जन भर केस दर्ज करने के बाद ईडी ने इसका संज्ञान लिया और पिछले महीने इस मामले में कई बड़ी फिनटेक कंपनियों के दफ्तरों पर छापेमारी की.
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