इंदौर। श्री देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की कालोनी श्री महालक्ष्मी नगर में प्रशासन भूखंड पीडि़तों को कब्जे दिलवा रहा है। अभी सेक्टर ए और बी के पीडि़तों को कब्जे दिलवाए हैं। उसके बाद सी और डी में भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी। दूसरी तरफ कुछ पीडि़तों ने एक पुराना नक्शा कालोनी का ढूंढा और उसे अपर कलेक्टर को सौंपा, जिसमें दो नए सेक्टर एफ और ई के खुलासे का दावा किया गया है। हालांकि प्रशासन के मुताबिक मौके पर जमीन उपलब्ध नहीं है। इधर पीडि़तों का कहना है कि अगर जमीन कम है और भूखंड सभी को नहीं मिल सकते तो इसकी बजाय प्रशासन हाईराइज बिल्डिंग बनाने की अनुमति दे, ताकि पीडि़तों को भूखंड की जगह एक-एक फ्लैट मिल सके। भोपाल में इस तरह का प्रयोग किया गया है और इंदौर में भी कई संस्थाओं में जमीन की कम उपलब्धता को लेकर समस्या आ रही है, जिसके चलते हाईराइज बिल्डिंग का सुझाव अच्छा है और प्रशासन को भी इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आती। श्री महालक्ष्मी नगर में कई पीडि़तों के पास रसीदें हैं। अभी सिर्फ रजिस्ट्री वालों को ही भूखंडों का कब्जा दिया जा रहा है।
5 हजार से अधिक सदस्य श्री महालक्ष्मी नगर में भी संस्था द्वारा बनाए गए और बाद में इस संस्था पर भी भूमाफियाओं का कब्जा हो गया। इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल होने के चलते पीडि़तों को भी अपने भूखंडों के कब्जे नहीं मिल सके और भूमाफियाओं ने कुछ जमीनें बड़े-बड़े टुकड़ों में रसूखदारों को बेच दी, तो कई रजिस्ट्री किए भूखंड नोटरी के जरिए भी बिके और उन पर पक्के मकान भी बन गए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के पहले भी श्री महालक्ष्मी नगर पीडि़तों को कब्जे देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन उसके बाद फिर लॉकडाउन के चलते दो महीने से अधिक समय तक यह प्रक्रिया ठप पड़ी रही। अभी पिछले दिनों सेक्टर ए और फिर बी में कुछ भूखंडधारकों को शिविर लगाकर कब्जे भी दिए। अभी प्रशासन सिर्फ उन लोगों को कब्जे दे रहा है जिनके पास मूल आवंटन और उसके आधार पर रजिस्ट्री की गई है। हालांकि पीडि़तों ने आरोप लगाया कि एक ही परिवार के कई सदस्यों को ये भूखंड मिल गए, जिनमें कुछ तो पति-पत्नी भी शामिल हैं। हालांकि सहकारिता विभाग का कहना है कि एक परिवार से एक सदस्य को ही भूखंड का आवंटन किया गया है। वहीं कल पीडि़तों का एक समूह, जिनमें ज्यादातर रसीदधारक हैं, अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर से मिला। इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल पंकज जैन का कहना है कि हमने प्रशासन को एक नया और मूल नक्शा श्री महालक्ष्मी नगर का उपलब्ध करवाया है। यह मूल नक्शा अभी तक सामने ही नहीं आया था, जिसमें दो और सेक्टर एफ और ई भी शामिल हैं। हमने प्रशासन से मांग की है कि सभी पात्र सदस्यों की सूची तैयार की जाए, जिसमें रसीदधारकों के साथ-साथ रजिस्ट्रीधारक भी रहें और इस सूची का सार्वजनिक प्रकाशन करने के बाद संशोधन, दावे-आपत्तियों को बुलाकर दुरुस्त किया जाए। ऐसे ही पीडि़त सदस्य दशरथ यादव और पुनाक्ष यादव का कहना है कि संस्था के पास कुल कितनी जमीन है और कितने प्लाटों का आबंटन हो चुका है इसकी जानकारी भी सार्वजनिक की जाए। वहीं अन्य सदस्य आशुतोष शर्मा और कपिल भारद्वाज का कहना है कि संस्था के भूखंड दूसरी कालोनी के ईडब्ल्यूएस वर्ग को कैसे आबंटित किए जा सकते हैं। दरअसल संस्था की कुछ जमीन प्राधिकरण ने भी ले ली है, जिस पर ईडब्ल्यूएस के मकान बनाए गए हैं। वहीं इन सदस्यों ने प्रशासन को यह सुझाव भी दिया कि यदि भूखंडों की संख्या पात्र सदस्यों की संख्या के हिसाब से कम है तो फिर हाईराइज बिल्डिंग बनाकर सभी सदस्यों को न्याय दिलाते हुए एक-एक फ्लेट उपलब्ध करवाए गए। इसके निर्माण की लागत भी पीडि़त सदस्य ही चुकाने को तैयार हैं। अपर कलेक्टर डॉ. बेड़ेकर ने भी इस सुझाव को सही माना और कहा कि इसका भी परीक्षण करवा लेते हैं।\
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