भोपाल। उपचुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने अपने उम्मीदवारों को घोषित कर दिया है। आचार संहिता लगने के बाद उम्मीदवारों ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी है। लेकिन इस बार मतदाताओं के बीच उठते सवालों ने उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है। उनके समर्थन में जो भी चुनावी मैदान में आ रहा है उनको मतदाता खरी खोटी सुनाने से नहीं चूक रहे। ऐसे में रूठों को मनाने के लिए उम्मीदवार पगडंडियां माप रहे हैं। गौरतलब है कि जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें से 25 सीटों पर भाजपा की तरफ से बागी मैदान में हैं। ऐसे में उनका विरोध हो रहा है। बेरोजगारी से जूझते युवा, काम धंधों की तलाश में मजदूर और रोजी रोटी के लिए मौहताज होते लोगों को जनप्रतिनिधियों ने उस तरह से सहारा देने का काम नहीं किया जिस तरह के वादे हर चुनावी सभाओं में होते रहे हैं। उम्मीदवारों से लेकर कांग्रेस के दिग्गज तक आए और मतदाताओं को दूर के सपने दिखाकर अपना माहौल बनाते रहे हैं। लेकिन सालों बाद भी जब क्षेत्र की सूरत में बदलाव नहीं दिखा तो मतदाता अब अलग ही मूड में नजर आ रहे हैं। चुनावी हाल ये है कि कुछ मतदाता अपना मूड बना चुके हैं। जिसका जवाब वह मतदान के दिन ही देंगे। जो रूठे हैं उनको उम्मीदवार मनाने में जुटे हुए है। अब उपचुनाव नजदीक आ गए हैं तो गांव की पगड़डियों की याद आने लगी है। मतदाताओं का कहना है कि जिनको वह पूरी ईमानदारी से जिताते रहे उन्होंने ही क्षेत्र की जगह सिर्फ अपने विकास पर ध्यान दिया। अगर क्षेत्र में ध्यान दिया होता तो क्षेत्र की तस्वीर ही कुछ और होती।
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