- आध्यात्म ने सिखाया कैसे जियें जिंदगी
गंजबासौदा। बिगड़ते स्वास्थ्य और अंग्रेजी दवाइयों के अलावा मानसिक उलझनों ने हमारा जीवन नीरस बना दिया था और हार मानते हुए यह मानकर चल रहे थे कि अब हमारा जीवन ज्यादा दिन का नहीं है। लेकिन 7 दिनों तक आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य विकास शिविर की दिनचर्या ने हमको ना केवल जीने की एक उम्मीद जगा दी है बल्कि जिंदगी को किस तरह आनंदित होकर जीना चाहिए यह भी सिखा दिया है। यह अनुभव बुधवार को मानस भवन में आयोजित हुए सात दिवसीय विशेष स्वास्थ्य शिविर के समापन कार्यक्रम में शिविरार्थियों ने व्यक्त किए। शिविर में मध्यप्रदेश के अलावा मुंबई, अमरावती, महाराष्ट्र, उज्जैन, ललितपुर, भोपाल, अशोकनगर और गुजरात के शिविरार्थियों ने सहभागिता की। मालूम हो कि नगर की सेवा भावी संस्था मानव सेवा अभियान पिछले 7 वर्षों से आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य विकास शिविर का आयोजन कर रही है।
रामचरितमानस पर आधारित इस शिविर में तप, सेवा और सुमिरन के जरिए अपनी भोजन पद्धति में बदलाव कर बिना दवाइयों के स्वास्थ प्राप्त करने शिविर का समापन हुआ पर अतिथियों के रूप में मंच पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहन भावसार, नटेरन जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि यशवंत रघुवंशी, नागरिक सेवा समिति अध्यक्ष एवं कांति भाई शाह, पूर्व पार्षद अशोक अग्रवाल, रामकिशोर शर्मा, प्रणय जैन, केशव ताम्रकार विदिशा, वरिष्ठ साधिका सुनीता भावसार, मोना सोलंकी मौजूद थीं। मेरठ से आए इंटरनेशनल एसोसिएशन फोर साइंटिफिक स्प्रिचुअलिज्म (आइएएस) के वरिष्ठ साधक और मुख्य मार्गदर्शक वक्ता डॉ गोपाल शास्त्री का द्वारा शाल, श्रीफल और साफा बांधकर सम्मान किया। मंच पर अनुभव के दौरान एक शिविरार्थी व्यवसायी राकेश चौरसिया ने बताया कि कई तरह की बीमारियां से हालात यह हो गई थी उन्होंने जीने की आस छोड़ दी थी लेकिन इन 7 दिनों में अब उनमें जीवन जीने की उम्मीद जाग गई है। शिविर में मिलने वाले जूस, सूप,दिन में अंकुरित कच्चा और रात को पक्का भोजन लेकर स्टेशन मास्टर शैलेंद्र शर्मा, यश जैन, शिक्षक संतोष शर्मा ने भी अपनी बीमारियों में काफी सुधार पाया। प्रोस्टेट कैंसर से पीडि़त रहे सोनू रघुवंशी ने बताया कि दवाइयां और अस्पतालों से निराश होकर शिविर की भोजन पद्धति अपनाकर उन्होंने अपनी बीमारी से छुटकारा पा लिया है। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र शर्मा ने किया जबकि आभार मानव सेवा अभियान के संयोजक दिग्पाल सिंह रघुवंशी ने माना।