भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में कोरोना (Corona) काल में 50 हजार से अधिक मुकदमों का बोझ बढ़ा है। वर्तमान में मुख्यपीठ जबलपुर और खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर में मौजूदा विचाराधीन मामलों की संख्या लगभग चार लाख है। जबकि कोरोना (Corona) पूर्व 2019 में यह संख्या साढ़े तीन लाख के लगभग थी। इस तरह साफ है कि कोराना (Corona) काल में नियमित भौतिक सुनवाई के अभाव में महज वर्चुअल सुनवाई के जरिये मामलों का निराकरण अपेक्षाकृत धीमा रहा।आगे चलकर हाईब्रिड यानी भौतिक व वर्चुअल दोनों तरह की सम्मिलित सुनवाई की व्यवस्था दिए जाने के बावजूद लंबित मुकदमों की संख्या कम नहीं हुई है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि नए मामले दायर होने की संख्या यथावत है।
- जुलाई 2019 के आंकड़े
जुलाई 2019 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर और खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर में कुल लंबित सिविल मामले दो लाख 15 हजार 598 थे। जबकि क्रिमनल मामलों की संख्या एक लाख 30 हजार 697 थी। इस तरह कुल लंबित मामलों की संख्या तीन लाख 46 हजार 295 पर पहुंच गई थी। दिसंबर 2019 तक यह आंकड़ा साढ़े तीन लाख पर रुका था। - जुलाई 2021 के आंकड़े
जुलाई 2021 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर और खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर में कुल लंबित सिविल मामले दो लाख 47 हजार 873 रही। जबकि क्रिमनल मामलों की संख्या एक लाख 51 हजार 410 पर पहुंच गई। इस तरह कुल लंबित मामलों की संख्या तीन लाख 99 हजार 283 पर पहुंच गई। इस तरह कोरोना पूर्व और कोराना पश्चात के तुलनात्मक आंकड़ों की रोशनी में हाई कोर्ट में 50 हजार मामलों का अतिरिक्त बोझ बढऩे का तथ्य सामने आया है। - 2019 व 2021 के बीच 2020 की हालत
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लंबित मामलों की कोराना पूर्व व कोराना पश्चात की दृष्टि से तुलाना करने के प्रक्रम में यदि 2020 में जुलाई माह तक की हालत का अवलोकन करें तो पाएंगे कि उस समय मुख्यपीठ जबलपुर और खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर में दो लाख 30 हजार 552 सिविल व एक लाख 42 हजार 430 क्रिमनल मामलों का बोझ बरकरार था। यही बोझ 2021 में कुल लंबित मामलों की संख्या तीन लाख 72 हजार 982 के आंकड़े के रूप में कमने के बदले और बढ़ता नजर आया।