वो सुधर रहे हैं और हम बिगड़ रहे हैं… क्योंकि हमारी संस्कृति और मानसिकता पर सिरफिरे कब्जा किए जा रहे हैं… उन्हें कपड़ों में धर्म नजर आ रहा है… वो न यीशु को जानते हैं न सांता की सोच को समझ पाते हैं.. इंदौर में जोमेटो की डिलीवरी करने वाले एक युवक द्वारा पहनी सांता क्लाज की पोशाक हिंदूवादियों ने उतरवा दी… हम सर्वधर्म समभाव कहलाते हैं… खुद को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं, लेकिन कपड़े देखकर भडक़ जाते हैं… सडक़ों पर तालिबानी बन जाते हैं… अपनों पर जुल्म ढाते हैं और खुद को हिंदूवादी बताते हैं… क्रिसमस प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश देता है… यह लोगों को आपसी सहयोग, दया और करुणा की भावनाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करता है… लेकिन हमारी छोटी बुद्धि इसे धर्म परिवर्तन की साजिश मानती है… उनके सेवा कार्यों में भी खोट निकालती है… हम कॉन्वेंट कल्चर को अपनाते हैं… अंग्रेजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं…मिशनरी के स्कूलों में बच्चों को पढ़वाने के लिए कतार लगाते हैं…लेकिन चंद लोग भगवा और लाल रंग में भेद करने लग जाते हैं…हम न उन्हें समझाते हैं न डराते हैं… हम जानते हैं कि वो गलत हैं, लेकिन खुद भी खामोशी के गुनहगार बन जाते हैं… दुनिया बदल रही है, लेकिन जो लोग बदलने को तैयार नहीं हैं उन्हें सबक सिखाने और उनकी बिगड़ैल सोच पर ताला लगाने के बजाय हम उनके आतंक के आगे सिर झुका रहे हैं… सांता के कपड़े उतारकर अपनी मजबूरी दिखा रहे हैं… अमेरिका में लोग दिवाली मना रहे हैं… व्हाइट हाउस में दीपक जलाए जा रहे हैं और हम यहां क्रिसमस पर उंगली उठा रहे हैं… वो बड़े दिलवाले होकर दुनिया को एकता का संदेश पहुंचा रहे हैं और यहां दिलजले माहौल बिगाड़ रहे हैं…आश्चर्य तो इस बात का है कि उनकी इस सोच पर न कोई ताला लगाने वाला है न उन्हें सच समझाने वाला…एक गलत सोच की स्वीकारोक्ति समाज में भय, भ्रम और द्वेष पैदा कर सकती है… यह न केवल अभिव्यक्ति पर प्रहार है, बल्कि जीने की स्वंंत्रता के अधिकार पर भी आघात है…यह कानून के साथ भी खिलवाड़ है और शांति… सद्भाव… एकता…मिलनसारिता पर भी सवाल है… इस पर अंकुश लगना चाहिए… यदि आज सोच नहीं बदल पाएंगे तो कल बड़े संग्राम के लिए विवश हो जाएंगे…
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