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शहर के 10 वार्डों से गुजरेगी महाकाल वन क्षेत्र की सीमा

May 02, 2022

  • महाकाल विस्तारीकरण योजना के तहत 500 मीटर के दायरे की आने वाले समय में बदल जाएगी सूरत

उज्जैन। महाकाल का भविष्य के लिए 500 मीटर क्षेत्र में विकास किया जा रहा है और 10 वार्डों के हिससे इस दायरे में आ रहे हैं। योजना में प्राचीन महाकाल वन क्षेत्र के फिर से मूल स्वरूप में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यही कारण है कि नए नियम के अनुसार महाकाल से ऊंची कोई भी इमारत नहीं बन सकेगी और न ही कोई धर्मालय बनेगा जिससे महाकाल का शिखर दबे। इसकी अधिसूचना भी जारी हो चुकी है।े स्मार्ट सिटी योजना के तहत कंपनी ने महाकाल रूद्रसागर क्षेत्र के विकास के लिए व्यापक योजना तैयार करने के बाद काम शुरु कर दिया है। योजना के काम दो चरणों में होना है। 700 करोड़ से अधिक की लागत से महाकाल विस्तारीकरण के कई काम किए जाएँगे। पहले चरण में 350 करोड़ के काम करीब-करीब पूरे हो गए हैं और जून महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन कार्यों का लोकार्पण करने आने वाले हैं। इसे देखते हुए शेष रहे कार्यों को तेजी से पूरा कराया जा रहा है। इधर महाकाल विस्तारीकरण योजना में महाकाल मंदिर के चारों ओर 500 मीटर के दायरे को शहर के नक्शे पर महाकाल वन के रूप में चिन्हित किया जा चुका है। महाकाल वन के 500 मीटर के इस घेरे में पुराने शहर के 10 वार्ड आ रहे हैं।


प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार मास्टर प्लान के अनुरूप तथा उज्जैन शहर के प्राचीन वैभव को वापस अस्तित्व में लाने के लिए यह योजना बनी है। इसमें महाकाल मंदिर को सेंटर में रखकर इसके चारों ओर 500 मीटर के दायरे को महाकाल वन की सीमा में शामिल किया गया है। इसमें पुराने शहर के वार्ड क्रमांक 21, 22, 23 तथा 27 के अलावा वार्ड 29, 30, 31 से लेकर 32, 33 और 34 तक की सीमाओं को यह दायरा छू रहा है। कई वार्ड तो ऐसे हैं जो महाकाल वन क्षेत्र के दायरे में पूरी तरह आ गए हैं। महाकाल वन क्षेत्र के 500 मीटर के दायरे में सीमांकन के बाद जिला प्रशासन यह भी स्पष्ट कर चुका है कि अब आगामी समय में इस दायरे में महाकाल मंदिर से अधिक ऊंचाई की इमारत को निर्माण की अनुमति नहीं रहेगी। महाकाल वन के 500 मीटर के दायरे में शिप्रा नदी का किनारा भी आ रहा है। रामघाट से लेकर सिद्ध आश्रम होते हुए नृसिंहघाट पहुँच मार्ग और यहाँ से लेकर चारधाम मंदिर के नजदीक होते हुए समीप बनी गणेशनगर कॉलोनी भी आ रही है। इधर पुराने शहर के गोपाल मंदिर और पुराने नगर निगम भवन को छोड़कर यहाँ पटनी बाजार के समीप स्थित मोदी की गली, मगर मुंहा और इधर कालिदास मांटेसरी स्कूल, छप्पन भैरव की गली तक 500 मीटर का घेरा छू रहा है। इसी तरह सिंहपुरी ऐरिया तथा इस क्षेत्र के कई मंदिर भी जद में आ रहे हैं। उधर दूसरी ओर महाकाल सेतु मार्ग, बेगमबाग से लेकर पुष्कर तालाब और लोहे का पुल तथा यहाँ स्थित जमातखाना तक महाकाल वन क्षेत्र में शामिल किया गया है। हाल ही में रामघाट के सौंदर्यीकरण का काम भी शुरु किया गया है। इधर महाकाल के प्राचीन द्वारों में से एक महाकाल थाने के समीप वाले द्वार के पुन: निर्माण का काम भी अंतिम चरणों में पहुँच गया है। हालांकि अभी भी यहाँ लगभग 15 प्रतिशत द्वार बनाने का काम शेष रह गया है।

चारों ओर से नजर आएगा महाकाल का शिखर
महाकाल विस्तारीकरण योजना में महाकाल शिखर दर्शन श्रद्धालुओं को आसानी से हो सके इसके लिए भी अलग से योजना है। यही कारण है कि महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर महानिर्वाणी अखाड़ा भवन तक पिछले दिनों विकास प्राधिकरण द्वारा पुराने निर्माणों की तुड़ाई की गई थी। इसके बाद अब प्राधिकरण के अधिकारी महाकाल प्रवचन हाल के साथ-साथ महाकाल मंदिर के चारों ओर के शेष रह गए अन्य पुराने निर्माणों को भी तेजी से तोड़ रहे हैं। योजना के मुताबिक महाकाल दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के शिखर के दर्शन मंदिर के परिसर के चारों ओर से आसानी से सुलभ हो सकेंगे। इसी के लिए शेष रहे निर्माणों को भी ढहाया जा रहा है। कार्य पूरा करने की समय सीमा भी निर्धारित कर दी गई है।

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