– एमटीएच अस्पताल में लापरवाही की सारी हदें पार
– अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों को करना पड़ा 3 घंटे से ज्यादा इंतजार
– बगैर किसी सुरक्षा के निजी एम्बुलेंस वाले ढो रहे कोरोना संक्रमितों के शव
इंदौर, निलेश राठौर। प्रशासन द्वारा जल्दबाजी में कोविड-19 सेंटर बनाने के बाद से एमटीएच अस्पताल विवादों में रहा। यहां आए दिन कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन हंगामा करते दिखाई देते हैं। कई बार तो कर्मचारियों के साथ मारपीट और अस्पताल में तोडफ़ोड़ तक की नौबत आ गई। परंतु इस बार तो एमटीएच अस्पताल के जिम्मेदारों ने लापरवाही की सारी हदें पार करते हुए एक महिला का शव ही बदल दिया। शव की अदला-बदली से दूसरी तरफ जहां उस महिला का अंतिम संस्कार परिजनों को रात में करना पड़ा, वहीं अंतिम संस्कार में शामिल होने आए रिश्तेदारों को भी घंटों श्मशान में इंतजार करना पड़ा।
शहर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों को लेकर लापरवाही की बातें निरंतर देखने को मिल रही हैं। कल तो शहर में कोरोना संक्रमितों के इलाज में लापरवाही बरतने से आए दिन विवादों से घिरे रहने वाले एमटीएच अस्पताल ने अंधेरगर्दी की सारी हदें ही पार कर दीं। अस्पताल में कोरोना की संदिग्ध मरीज मानकर महिला को भर्ती किया गया था। परिजन तो महिला की रिपोर्ट का इंतजार ही करते रहे, परंतु उन्हें रिपोर्ट की जगह महिला की मौत की खबर मिली। इलाज के लिए भर्ती की गई महिला की मौत के बाद उसके परिजनों को उक्त महिला का शव न देते हुए लापरवाह कर्मचारियों ने किसी और महिला का शव सौंप दिया। मृतिका मनोरमाबाई उर्फ मनीबाई पति राधेश्याम भगोले (54) के पुत्र दुर्गेश भगोले ने अग्निबाण से चर्चा करते हुए बताया कि दो दिन पूर्व माताजी को सामान्य बीमार होने पर निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहां से एमटीएच अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां सुबह उनकी मौत हो गई थी। अस्पताल प्रशासन की सूचना पर हम परिवार वाले करीब 5 से 5.30 बजे के बीच अस्पताल से मां के शव को लेकर निजी एम्बुलेंस से जूनी इन्दौर मुक्तिधाम पहुंचे। शव को एम्बुलेंस से उतारा तो हम सब को शव की कद-काठी देखकर शक हुआ। इस पर हमने शव का चेहरा देखने की जिद की। मुक्तिधाम में विवाद बढ़ता देख मुक्तिधाम कर्मचारी ने शव को पैक करने वाले बैग की थोड़ी सी चेन जैसे ही खोली तो वहां मौजूद सभी लोग हक्के-बक्के रह गए। वह जिस महिला का शव अपनी मां का समझकर लाए थे वह तो किसी और महिला का निकला। आनन-फानन में परिजनों ने फिर से शव को बैग में अच्छी तरह पैक करवाया और उसे लेकर एमटीएच अस्पताल पहुंचे। एमटीएच अस्पताल से परिजन बड़ी मशक्कत के बाद शाम 7.21 बजे के करीब मनोरमाबाई के शव को लेकर मुक्तिधाम पहुंचे, जहां तीन घंटे से इंतजार कर रहे रिश्तेदारों और परिजनों के सामने रात 8.15 बजे मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया गया। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिससे वह शव सौंपने में बरती जा रही लापरवाही के लिए प्रशासन को कोसते रहे।
निजी एम्बुलेंस से ढोए जा रहे कोरोना संक्रमितों के शव
देश में कोरोना संक्रमितों के शव को लेकर बनाई गई गाइड लाइन को ताक पर रखकर शहर में कोरोना वायरस वाले मरीजों की मौत के बाद उनके शव को निजी एम्बुलेंस से मुक्तिधाम तक पहुंचाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार मुक्तिधाम में निजी एम्बुलेंस से शव लाने के दौरान परिजनों और एम्बुलेंस वालों के बीच मनमाने दाम वसूलने को लेकर विवाद की स्थिति भी बन जाती है, क्योंकि एम्बुलेंस वाले अस्पताल में मृतक के परिजनों से हमदर्दी जताते हुए शव लेते समय अपने आप को मृतक का परिजन बताकर शव हासिल कर लेते हैं और फिर मुक्तिधाम पहुंचते ही हजारों रुपए की मांग करने लगते हैं। प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। शव को अस्पताल से मुक्तिधाम तक पहुंचाने वाले एम्बुलेंस के ड्राइवर बगैर किसी सुरक्षा इंतजाम के शव को ढो रहे हैं, जिससे अन्य लोगों की जान को खतरा बना हुआ है।
हजारों रुपए के इंजेक्शन भी नहीं बचा पाए जान
परिजनों के अनुसार एमटीएच अस्पताल में मनोरमाबाई का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने महिला को जल्द स्वास्थ्य लाभ मिले इसके लिए करीब 40 से 50 हजार रुपए के इंजेक्शन लगावाने के लिए कहा था। परिजनों द्वारा उक्त इंजेक्शन लाकर दिए गए, उसके बाद भी महिला को बचाया नहीं जा सका।
आभूषण चोरी की होती रही चर्चा
कल जूनी इन्दौर मुक्तिधाम में संभावित कोरोना संक्रमित महिला का शव बदल गया था। अस्पताल से भगोले परिवार की महिला का शव लेने गए परिजनों के इंतजार में खड़े रिश्तेदारों के बीच काफी देर तक वहां चर्चा चलती रही कि अस्पताल में मृतिका के गले से मंगलसूत्र चोरी हो गया है।
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