नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नई कैबिनेट का खाका तैयार हो गया है। मोदी सरकार की नई कैबिनेट में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को शामिल करने की संभावना है। इसमें 18 पूर्व राज्य मंत्री और 39 पूर्व विधायकों को शामिल किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने अपनी नई टीम में 23 ऐसे सांसदों को चुना है जिन्होंने तीन बार या उससे अधिक चुनाव जीता है।
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आज शाम करीब 43 मंत्री शपथ लेंगे। कैबिनेट में 11 महिलाओं को भी मौका दिया जाएगा। इसके साथ-साथ कैबिनेट में 13 वकील, छह डॉक्टर, पांच इंजीनियर होंगे। सूत्रों के मुताबिक मोदी की नई टीम का जो खाका तैयार हुआ है उसमें वरिष्ठता, अनुभव, पेशा के साथ-साथ कर्तव्यनिष्ठा को भी प्राथमिकता दी जा रही है। कैबिनेट की औसत आयु करीब 58 साल की होगी। 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 से नीचे है।
बताया जा रहा है कि मोदी की नई कैबिनेट में 13 वकील, छह डॉक्टर, पांच इंजीनियर, सात पूर्व प्रशासनिक अधिकारी होंगे। नई कैबिनेट में 46 मंत्री ऐसे हैं जिनके पास पहले की केंद्र सरकार में रहकर काम करने का अनुभव हासिल है।
नई टीम में जाति समीकरण का भी रखा जाएगा ध्यान
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के कैबिनेट विस्तार में जाति और धर्म के समीकरण को भी ध्यान में रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट में पांच अल्पसंख्यक मंत्री होंगे। जिसमें एक मुस्लिम, एक सिख, एक ईसाई और दो बौद्ध धर्म को मानने वाले हो सकते हैं।
वहीं 27 मंत्री ओबीसी से हो सकते हैं जिन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। आठ अनुसूचित जनजाति से संबंधित मंत्री बनाए जाएंगे जिन्हें कैबिनेट रैंक दिया मिलने की संभावना है। 12 मंत्री अनुसूचित जाति से हो सकते हैं जिनमें से दो को कैबिनेट रैंक मिल सकता है।
यहां देखें संभावित मंत्रियों की पूरी सूची
नाम राज्य
भूपेंद्र यादव, राजस्थान
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश
नारायण राणे महाराष्ट्र
सर्वानंद सोनोवाल, असम
सुनीत दुग्गल हरियाणा
मीनाक्षी लेखी दिल्ली
अजय भट्ट उत्तराखंड
शोभा करंदलाजे कर्नाटक
प्रीतम मुंडे महाराष्ट्र
अजय मिश्रा उत्तर प्रदेश
अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश
विनोद सोनकर उत्तर प्रदेश
शांतनु ठाकुर पश्चिम बंगाल
आरसीपी सिंह बिहार
पशुपति पारस बिहार
कपिल पाटिल महाराष्ट्र
जानिए संभावित मंत्रियों के बारे में
ज्योतिरादित्य सिंधिया : सिंधिया का मोदी कैबिनेट का हिस्सा होना लगभग तय है। सिंधिया राजघराने के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं और अपने क्षेत्र पर उनकी मजबूत पकड़ है। अपने पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले माधवराव सिंधिया के 2001 में निधन के बाद ज्योतिरादित्य राजनीति विरासत में मिली और कांग्रेस ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया। 2002 में हुए उपचुनाव में वे पहली बार अपने पिता के गुना सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
यूपीए सरकार में 2007 में उन्हें मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में केंद्रीय राज्य मंत्री बनने का मौका मिला। 2012 में भी उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। 2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस चुनाव जीती तो उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसके लिए कमलनाथ को चुना और यहीं से सिंधिया के तेवर बदल गए और वे खुद को कांग्रेस में उपेक्षित महसूस करने लगे।
सिंधिया ने यहीं से धीरे-धीरे अपनी अलग राह पकड़ ली और मध्यप्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए। जिसका अंत उन्होंने कमलानाथ की सरकार गिरा कर और बहुमत नहीं होने के बावजूद भाजपा की सरकार बना कर किया। मार्च 2020 में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए।
भूपेंद्र यादव : भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री भूपेन्द्र यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सबसे महत्वपूर्ण सिपहसलारों में से एक हैं। चाहे राज्यसभा में भाजपा को बहुमत नहीं होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर से 370 को रद्द करने वाले ऐतिहासिक विधेयक को सफलता से पारित कराने की बात हो या बिहार में एनडीए को जीत दिलाने का, वे अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह करके वे मोदी-शाह के चहेते नेताओं में गिने जाते हैं। यादव राजस्थान से राज्य सभा के सदस्य हैं। पेशे से वकील भूपेंद्र यादव पार्टी महासचिव हैं और बिहार के प्रभारी रहे हैं। कोरोना काल में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को शानदार जीत दिलाने में उनकी भूमिका अहम रही है। जिससे बीजेपी बिहार में बड़े भाई की भूमिका में आ गई। बताया जाता है कि गुजरात में 6 बार बीजेपी को जीत दिलाने के पीछे भी यादव की ही मेहनत मानी जाती है।
नारायण राणे : शिवसेना से होते हुए भाजपा में पहुंचे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज मराठी नेता नारायण राणे अब मोदी टीम में शामिल होंगे। मराठा समुदाय में राणे की बहुत धमक और धाक मानी जाती है। राणे ने अक्तूबर 2019 में अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया था और वे भाजपा में शामिल हो गए थे. अभी वे राज्यसभा सांसद है। 1 फरवरी 1999 को शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में वे मुख्यमंत्री बने. हालांकि वे अक्तूबर 1999 तक ही मुख्यमंत्री के पद तक रहे। शिवसेना से उनके रिश्तों में तब खटास आने लगी जब उद्धव ठाकरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई।
पशुपति कुमार पारस : लोकजनशक्ति पार्टी में फूट डालकर चिराग पासवान की राजनीति में अंधेरा करने वाले उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को भी मंत्री पद का तोहफा मिलने जा रहा है। बताया जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जगह मोदी की नई टीम में अब पशुपति कुमार पारस की इंट्री तय है। जहां यह एक तरफ मोदी सरकार की तरफ से पशुपति पारस के लिए यह ईनाम है तो दूसरी तरफ इसे चिराग के लिए एक संदेश माना जा रहा है। पशुपति पारस बिहार के हाजीपुर से सांसद हैं. वे पहले नीतीश सरकार में बिहार के पशु एवं मतस्य संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं। वे दो बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए।
मीनाक्षी लेखी : मोदी सरकार ने नए मंत्रिमंडल में महिलाओ में जो सबसे महत्वपूर्ण चेहरा नजर आ रहा है वह है नई दिल्ली की सांसद और भारतीय जनता पार्टी की भरोसेमंद नेता मीनाक्षी लेखी का। केंद्र सरकार का पक्ष जोरदार तरीके से संसद में उठाने और अपने वक्तव्य कला के कारण मीनाक्षी लेखी को मंत्री पद नवाजा जा रहा है। लेखी अक्सर संसद में दिए अपने जोरदार भाषण को लेकर सुर्खियों में रही हैं. मीनाक्षी लगातार दो बार नई दिल्ली सीट से जीत रही हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और भाजपा की तेजतर्रार नताओं में गिनी जाती है। इसी साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान भी उन्होंने कड़े तेवर के साथ सरकार की आर्थिक नीतियों का पक्ष रखते हुए शानदार भाषण दिया था।
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