- पार्टी ने आदेश दिया तो चुनाव लडूंगा-देश के सभी अखाड़ों और प्रमुख संतों को स्थाई भूमि आवंटन कर पूरे वर्ष श्रद्धालुओं को उज्जैन से जोड़े रखने का मेरा संकल्प है
उज्जैन। हम राजनेताओं की बात करते हैं तो पार्टी कोई सी भी हो, अक्सर ऐसा व्यक्तित्व सामने आता है जो पार्टी में अपने लोगों की जमावट करना चाहता हो… लेकिन शहर की राजनीति में एक ऐसा व्यक्ति भी है जो केवल पार्टी के लिए काम करता है… एक नहीं, दो-दो बार अध्यक्ष बनने पर भी इकबाल सिंह गांधी ने न तो पार्टी को कैप्चर किया और ना अपने ही लोगों को हर जगह बैठाने का एकाधिकार दिखाया… उनके नेतृत्व में हुए नगर निगम चुनाव में सर्वाधिक पार्षद जीते लेकिन उसमें सभी नेताओं के समर्थक शामिल थे..मप्र में अब तक जितने भी चुनौतीपूर्ण चुनावों में जिम्मेदारी मिली सब में विजयश्री लेकर लाए… अद्भुत संगठन क्षमता के धनी गांधी समन्वय की राजनीति करते हैं, साफ-सुथरी राजनीति करते हैं, सबको साथ लेकर चलने की राजनीति करते हैं जो इस दौर में अब थोड़ा मुश्किल है…सहज भाव लिए श्री गाँधी गलत चीज बर्दाश्त नहीं करते और मुखर हो जाते हैं..अग्निबाण की अदालत में सभी वाजिब सवाल उनसे पूछे गए, जवाब कितने सही हैं यह पाठकों की अदालत के सामने प्रस्तुत हैं –
- प्रश्न : गांधीजी आप लो-प्रोफाइल राजनीति करते हैं। हमारे पाठकों को अपनी यात्रा के बारे में बताएंगे ?
जी ! शहर और जिले का हर कार्यकर्ता मुझसे आत्मीयता महसूस करता है, लेकिन मैं लाव-लश्कर लेकर नहीं चलता। गाडिय़ों के काफिले से मैं अध्यक्ष रहते हुए भी नहीं चलता था। तो मेरे काम करने का तरीका ऐसा ही है। 43 वर्षों के राजनीतिक सफर में मैं एक नहीं, तीन बार नगर जिला उपाध्यक्ष बना। 2013 से 2018 तक दो बार नगर जिला अध्यक्ष रहा। खूब काम करने का अवसर मिला। संगठन से लेकर चुनाव तक हर जगह मुझे साथियों और कार्यकर्ताओं का भरपूर सहयोग मिला । यही मेरी यात्रा है जो राजनीतिक कम है और सामाजिक अधिक। - प्रश्न : आपको सौम्य राजनेता के रूप में जाना जाता है। इस दौर में क्या यह प्रभावी है ?
सौम्यता ही स्थाई है। छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी मुझे अधिकार से फोन लगाकर मन की बात कर लेता है, उसे कोई झिझक-संकोच नहीं होता। नागरिक भी बेधड़क घर पर चले आते हैं। मैं जिसे फोन लगाकर काम बताता हूं वह खुश होकर काम करता है और काम हो गया इसका अपडेट भी देता है। अब यह कमी है या योग्यता जनता जाने। मैं ऐसा ही हूं। - प्रश्न : अध्यक्षीय कार्यकाल में क्या चुनौतियां आपके सामने रहीं ?
2013 में भाजपा अध्यक्ष बना और विधानसभा चुनाव के ठीक पहले घोषित प्रधानमंत्री कैंडिडेट मोदी जी की सभा उज्जैन को मिल गई। कम समय में उसकी तैयारियां और हर विधानसभा के की-वोटर्स को लाने की रणनीति पर काम किया ताकि सभी वर्गों और समाजों तक मोदी जी का की लोकप्रियता पहुंचे। उसका लाभ भी मिला और सभी विधानसभाओं में लहर चली। नगर निगम चुनाव भी उस दौरान 2015 में हमने इस कुशलता से मिलकर लड़ा कि स्वतंत्रता के बाद से नगर निगम में भाजपा को सर्वाधिक सीटें प्राप्त हुईं। - प्रश्न : यह तो हुई आपकी बात। अब बात करते हैं मतदाताओं की। उज्जैन दक्षिण के क्या-क्या मुद्दे हैं ?
दक्षिण में 67 गांव हैं। किसानों के लिए कुछ विशेष करना चाहता हूं। बाकी उत्तर और दक्षिण के शहरी क्षेत्र एक ही हैं। उनके लिए समान योजनाओं पर काम करना होगा। - प्रश्न : उज्जैन दक्षिण में बड़ी ग्रामीण आबादी है। उनकी क्या समस्याएं हैं ?
बहुत कुछ करना है। सड़कों का जाल 18 वर्षों की शिवराज सिंह सरकार ने बिछा दिया है तो हमें किसानों की आय पर काम करना होगा। मोदी जी के दो स्वप्न किसानों के लिए हैं। जैविक खेती से आयवृद्धि और मोटा अनाज से स्वास्थ्यवृद्धि। लगातार जनजागृति कर कीटनाशक मुक्त जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसी तरह श्रीअन्न अर्थात मोटे अनाज की पैदावार को भी लोकप्रिय बनाना होगा। किसान वर्तमान में सोयाबीन, गेहूं जैसी परंपरागत फसलें ही करते हैं। जैविक और मोटे अनाज की फसलों के लिए बाजार उपलब्ध कराना भी बड़ा काम है। इसे हम सरकार के साथ मिलकर करेंगे तो उज्जैन की किसानों की अलग पहचान देशभर में बनेगी। - प्रश्न : शहर के आस-पास फोरलेन निकल रहे हैं लेकिन उज्जैन से उनकी कनेक्टिविटी टूलेन की है। आपकी क्या योजना है ?
बिल्कुल मुझे ध्यान है। देवास फोरलेन बन चुका है लेकिन दताना से उज्जैन तक टूलेन है। आए दिन हादसे हो रहे हैं। बदनावर तक बन रहा फोरलेन धरमबड़ला से बड़े पुल तक टूलेन है। दोनों को शहरी क्षेत्र में फोरलेन किया जाएगा। नानाखेड़ा से नागदारोड तक के बायपास को सिंहस्थ से पहले फोरलेन करना मेरी प्राथमिकता है। इस पर फोरलेन ब्रिज भी बनाए जाएंगे। फ्रीगंज का प्रस्तावित पुल अटका हुआ है। इसे समय सीमा में पूर्ण कराना प्राथमिकता है। कोई ढीलमपोल स्वीकार नहीं होगी। - प्रश्न : शहर हो या गांव, जनवरी आते-आते जल संकट क्यों दिखने लगता है ?
गांवों में मोदीजी के जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत नए तालाबों से ग्रामीणों को घर-घर पेयजल दिया जा रहा है। दक्षिण में बड़ी संख्या में गांवों में शासकीय तालाब और कुएं जीर्णोद्धार की राह देख रहे हैं। बड़ी योजना बनाकर उन्हें पुन: उपयोग में लाया जाएगा और घरों में पेयजल तथा खेतों में सिंचाई की सुविधा दी जाएगी। शहर को अगले 50 वर्षों के लिए एक बांध बनाना ही होगा। शिप्रा तथा गंभीर दोनों नदियों में आधा दर्जन छोटे-छोटे स्टॉपडेम की आवश्यकता है। इसमें कोई समझौता नहीं होगा । नर्मदा का दूसरा चरण भी शहर के कंठों की प्यास बुझाएगा।
प्रश्न : अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि चुनाव के समय पहुंचते हैं । दूर-दूर गांवों से क्या उन्हें अपने कामों के लिए शहर आना पड़ेगा ? - बिल्कुल नहीं। अभी भी मैं निरंतर गांव में जाता हूं । पद पर रहूं या ना रहूं, लोगों के दु:ख-सुख में सम्मिलित होता हूं। गांव जाकर शासन की एक-एक योजना का लाभ दिलाया जाएगा। कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम है, वह ग्रामीणों को उनके घर पर समाधान पहुंचाएगी।
प्रश्न : शहर के क्या मुद्दे हैं ? - सबसे पहले युवाओं के रोजगार के लिए जुटना है। सीखो कमाओ योजना में सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा जा सकता है। विक्रम उद्योग पार्क में आने वाले 5 वर्षों में विशाल उद्योगों की श्रंखला लगने वाली है। अधिक से अधिक संख्या में वहां केवल उज्जैन के ही युवाओं को काम मिले इस पर हम काम करेंगे। शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीति की आवश्यकता है। वह बेरोजगारी दूर करेगी।
प्रश्न : यातायात व्यवस्था पर आपकी नजर है ? - शहर में यातायात को लेकर एक प्रभावी प्लान चाहिए। पुराने शहर में यातायात की जो अव्यवस्था आप देख रहे हैं वह महाकाल फेस टू के निर्माण कार्यों के चलते है। निर्माण संपन्न होने पर चीजें व्यवस्थित होंगी। हरिफाटक पर एक और समानांतर पुल की आवश्यकता है। फ्रीगंज पुल शीघ्र बनाना होगा और वनवे की नीति लागू करनी होगी। यह समन्वय बनाना भी जनप्रतिनिधि का ही काम है।
प्रश्न : उज्जैन की आत्मा से जुड़ा प्रश्न। शिप्राजी को कैसे प्रवाहमान बनाएंगे ? - देवास और इंदौर के अलावा उज्जैन शहर का भी एक बूंद गंदा पानी ना मिले इस पर सख्ती से काम करेंगे जो जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं । इसे जनआंदोलन बनाना होगा। विधायक बनने पर नर्मदा जी का जल निरंतर डालकर, छोटे स्टॉपडेम की श्रंखला बनाकर शिप्राजी को त्रिवेणी से केडी पैलेस तक निरंतर प्रवाहमान बनाएंगे।
प्रश्न : कांग्रेस महाकाल दर्शन पर लगे शुल्क पर आक्रामक हैं। आप कैसे बचाव करेंगे ? - झूठ का बचाव नहीं होता। जिसके पास समय कम हो, जल्दी दर्शन करना हों तो भारत के सभी बड़े मंदिर चाहे तिरूपति हों, शिर्डी हो, सांवरिया जी हों, सभी में शीघ्र दर्शन शुल्क व्यवस्था है। उस शुल्क से व्यवस्थाएं भी संचालित होतीं हैं। लेकिन सामान्य दर्शनों पर कोई शुल्क नहीं होगा यह मेरा वादा है।
प्रश्न : अगला सिंहस्थ कुंभ नए विधायक के कार्यकाल में होगा। क्या ठोस योजना है? - पिछले सिंहस्थ में 3000 करोड़ रुपए खर्च हुए। अगला बजट 5000 करोड़ रुपए का हो सकता है। विधायक बनने पर मेरा जोर इस बात पर रहेगा कि 50 या 100 वर्षों तक निर्माण कार्य टिके रहें और उपयोगी रहें, इस दूरदर्शिता से योजनाएं बनेंगी। दिखावे की योजनाओं की अपेक्षा उपयोगी काम उज्जैन को स्थाई विकास देंगे।
प्रश्न : कोई एक सौगात जो विधायक बनने पर आप उज्जैन को देना चाहते हैं ? - एक प्लान बरसों से है। देशभर के सभी अखाड़ों और बड़े संतों को उज्जैन में यदि स्थाई भूमि दी जाए तो वे विशाल भवन यहां स्थापित करेंगे और वर्ष भर धार्मिक गतिविधियां चलती रहेंगी। श्रद्धालु तथा पर्यटक नियमित रूप से आते रहेंगे तो उज्जैन का विकास और रोजगार दोनों बढ़ेगा।
- प्रश्न : उज्जैन के युवाओं को पढऩे के लिए बाहर जाना भी एक बड़ी समस्या है।
बिल्कुल सही है। शहर को एक शासकीय मेडिकल कॉलेज चाहिए ही। इसके अलावा उज्जैन, इंदौर, देवास के बीच विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थाओं को आमंत्रित किया जा सकता है। सेंट्रल इंडिया होने तथा रेलवे और एयर कनेक्टिविटी के चलते यहां एजुकेशन हब बनाया जा सकता है। एक विधायक चाहे तो शासन से बहुत कुछ करवा सकता है ऐसा मेरा मानना है। - प्रश्न : दीर्घ राजनीतिक जीवन में भी कोई विवाद पार्टी के भीतर आपके साथ नहीं जुड़ा। क्यों ?
मैंने अपना कोई गुट नहीं बनाया। मैं केवल भाजपा संगठन का आदमी हूं। दो बार अध्यक्ष बना लेकिन मैं सभी गुटों के साथ मिल गया। कोई कार्यकर्ता मेरे लिए विशेष नहीं था और कोई दूर नहीं था। इसलिए न कोई विवाद जुड़ा और ना किसी से नाराजगी रही ।मुझे प्रतिद्वंद्वी मानने वाले भी जानते हैं कि मैं उनका नुकसान नहीं करूंगा।
प्रदेश में कहीं भी चुनाव उलझा कि उज्जैन से गांधी को बुलावा आया
शहर के लोगों को भले ही यह पता न हो लेकिन गांधी उलझे हुए चुनाव को जिताने में माहिर माने जाते हैं। संगठन भी उनकी इस क्षमता को पहचानता है। तभी तो उन्हें प्रदेश के बड़े चुनावों में बार-बार जिम्मेदारी मिलती रही है। हरियाणा और गुजरात के विधानसभा चुनावों में आजमाने के बाद आगर के उपचुनाव का प्रभारी उन्हें बनाया गया। उनकी संगठन क्षमता ने उस कठिन चुनाव को जीत में बदला। उसके पहले 2015 के नगर निगम चुनाव में शहर अध्यक्ष रहते हुए ऐतिहासिक विजय दिलाई। खंडवा लोकसभा उपचुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल का टिकट मीडिया गलत बता रहा था लेकिन गांधी को प्रभारी बनाया गया और प्रभावी जीत मिली। 2020 में सांवेर उपचुनाव में भी रमेश मेंदोला के साथ गांधी को प्रभारी बनाया गया। रिकॉर्ड मतों से तुलसी सिलावट जीते । संगठन के वरिष्ठ बताते हैं की फंसा हुआ चुनाव देखते ही मुख्यमंत्री कह देते हैं उज्जैन से इकबालसिंह को बुलाओ।
छोटी बैठकें, हर कार्यकर्ता को जिम्मेदारी से मिलता है जीत का रास्ता
प्रदेश संगठन की प्रतिष्ठा का सवाल जिन चुनावों से लगा हो, वहां आपको क्यों याद किया जाता है और आप कैसे सफल रहते हैं ? यह पूछने पर गांधी बताते हैं शायद खामोशी से काम करने से परिणाम अधिक मुखर होते हैं। बड़ी-बड़ी बैठक और रैलियों से केवल माहौल बनता है। वास्तविक काम छोटी बैठकों में होता है। मैं बिना थके लगातार छोटी-छोटी बैठकें करता हूं तो कार्यकर्ताओं मोटिवेट होते हैं। हर कार्यकर्ता को उसकी इच्छा के अनुरूप काम देना, बड़ों को सम्मान देकर पार्टी के काम में लगा देने से एकजुटता जाती है। यह भाजपा की विशेषता है कि कठिन चुनाव भी कार्यकर्ता मेहनत कर जीत में बदल देते हैं ।