इंदौर (Indore)। अपने पति लखन गौड़ के असामयिक निधन के बाद विकल्प के रूप में भाजपा में स्थापित हुईं विधायक मालिनी गौड़ ने महापौर रहते हुए सर्वाधिक ख्याति हासिल की। उनके कार्यकाल में ही इंदौर को जहां स्वच्छता का खिताब मिला, वहीं सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि आवारा पशुओं से शहर ने निजात पाई और यह काम पूरे देश में केवल इस शहर में हो पाया। यह सब कुछ इसलिए हो पाया कि मालिनी गौड़ ने महापौर रहते हुए क्षेत्र के विकास के काम में कोई अडंग़ा नहीं डाला।
लगातार तीसरी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहीं मालिनी गौड़ के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने क्षेत्र के लोगों से सतत संपर्क नहीं रखा और यही आधार उनके प्रतिद्वंद्वी उन्हें नाकारा साबित करने के लिए बार-बार उठाते हैं, लेकिन उनके समर्थकों सहित आम लोगों का मानना है कि उन्होंने सबसे बड़ा यह काम किया कि किसी के काम में अडंग़ा नहीं डाला। मालिनी गौड़ के महापौर रहते हुए ही इंदौर शहर ने कई कामयाबियां हासिल की। लगातार स्वच्छता का खिताब हासिल किया। स्मार्ट सिटी योजना के तहत इंदौर की सडक़ों का चौड़ीकरण, नई सडक़ों का निर्माण, कान्ह नदी की स्वच्छता का अभियान जैसे कई कामों के साथ ही आवारा पशुओं से मुक्ति दिलाना सबसे बड़ा काम रहा। स्वच्छता की होड़ में शामिल शहरों में सफाई तो हुई, लेकिन आवारा पशुओं से मुक्ति नहीं मिल पाई। मालिनी गौड़ की इन्हीं सक्षमताओं के चलते उन्हें पार्टी ने जहां फिर एक बार प्रत्याशी बनाया, वहीं उनके मुकाबले कोई दावेदार भी खड़ा नहीं हो पाया।
अपने ही क्षेत्र से शुरू करवाया सडक़ चौड़ीकरण अभियान
स्मार्ट सिटी के तहत जब सडक़ों के चौड़ीकरण का अभियान शुरू हुआ तो जहां नेता अपने इलाके में तोडफ़ोड़ से घबराते रहे थे, वहीं मालिनी गौड़ ने सबसे पहले अपने क्षेत्र की बियाबानी की सडक़ के मकानों पर बुलडोजर चलाने का साहस दिखाया। उस समय उन्हें लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन जब सडक़ चौड़ीकरण होने से वहां की रौनक बढ़ी तो लोग दुआएं देते भी नजर आए।
अमानवीयता भी नजर आई…
दीपावली के वक्त कनाडिय़ा रोड के लोगों को बेघर कर दिया
मालिनी गौड़ के नाम कई उपलब्धियां हैं तो निष्ठुरता के वाकये भी दर्ज हैं। मालिनी गौड़ अधिकारियों पर इतनी निर्भर हो गई थीं कि उन्होंंने सडक़ चौड़ीकरण के लिए दीपावली के वक्त कनाडिय़ा रोड पर हो रही तोडफ़ोड़ को नहीं रोका। ऐन त्योहार के वक्त लोग अपने घरौंदो को टूटता हुआ देखते रहे और कई घरों में दीपावली काली मनी। यहां तक कि क्षेत्रीय विधायक ने भी महापौर की इस निष्ठुरता को रोकने का प्रयास नहीं किया।
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