खड़े गणपति से टिगरिया बादशाह रोड के साथ बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग तक एमआर-4 निर्माण के लिए 91 करोड़ देगा प्राधिकरण
इंदौर। प्राधिकरण (authority) अपने इतिहास की सबसे बड़ी योजना को अमल में लाने का दावा कर रहा है। ग्रीन रिंग कॉरिडोर क्लस्टर के नाम से यह योजना लाई जाएगी, जिसमें 30 गांवों की लगभग 3300 हेक्टेयर यानी 8 हजार एकड़ जमीन शामिल रहेगी। पूरे शहर के बाहर कॉरिडोर (Corridore) बनाया जाएगा, जिसकी कुल लम्बाई पूर्वी और पश्चिमी को मिलाकर 108 किलोमीटर की रहेगी, जिसमें से प्राधिकरण के ग्रीन रिंग कॉरिडोर का हिस्सा लगभग 65 किलोमीटर का रहेगा। अभी प्राधिकरण बोर्ड ने इस योजना से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी है और अब इसे आयुक्त सहसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश भोपाल (BHOPAL) को मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है। दरअसल प्राधिकरण निवेश क्षेत्र के भीतर ही योजना घोषित कर सकता है। मगर इस कॉरिडोर के लिए निवेश क्षेत्र के बाहर भी योजना लाना पड़ेगी, जिसके लिए शासन की मंजूरी लगेगी। हालांकि अभी मास्टर प्लान 2035 का काम चल रहा है।
आगामी मास्टर प्लान में भी इस प्रावधान को शामिल किया जा सकता है। अभी 13 अप्रैल को प्राधिकरण संचालक मंडल की जो बैठक हुई उसमें सैंकड़ों करोड़ के विकास कार्यों को भी मंजूरी दी गई। वहीं विवादित प्रस्तावों को फिलहाल दरकिनार कर दिया गया, जिसका खुलासा अग्निबाण ने कल किया भी था। प्राधिकरण को पिछले दिनों शासन ने घोषित टीपीएस की भी मंजूरी दे दी, जिसमें टीपीएस-5, 9 और 10 के विकास कार्य के लिए प्रशासकीय स्वीकृति ली गई है। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा के मुताबिक टीपीएस-5 पर 431.49 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, तो टीपीएस-9 पर 916.11 करोड़ और टीपीएस-10 पर 793.73 करोड़, इस तरह इन तीनों टीपीएस पर लगभग 2200 करोड़ रुपए की राशि खर्च होना है। टीपीएस-9 में ग्राम भिचौली हब्सी, टिगरियाराव और कनाडिय़ा की 261 हेक्टेयर जमीन शामिल है, तो इसी तरह टीपीएस-10 में सुपर कॉरिडोर पर बड़ा बांगड़दा, पालाखेड़ी, टिगरिया बादशाह और लिम्बोदी की 220 हेक्टेयर जमीन शामिल की गई है। अभी संचालक मंडल की बैठक में उपाध्यक्ष राकेश गोलू शुक्ला, कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी सहित लोक निर्माण विभाग, बिजली कम्पनी और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के अलावा प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार भी मौजूद रहे। प्राधिकरण अब तक की सबसे बड़ी आठ हजार एकड़ की योजना को लाने का भी दावा कर रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रीन रिंग कॉरिडोर बनाना है, जिसके दोनों तरफ घने और बड़े पेड़ लगाने के साथ-साथ सिटी फॉरेस्ट को भी बीच-बीच में विकसित किया जाएगा। इससे शहर के अंदर वाहनों का दबाव भी कम रहेगा। खासकर बड़े वाहन बाहर से ही निकल जाएंगे। अभी इंदौर का नया मास्टर प्लान 2035 विचाराधीन है, जिसके प्रारुप प्रकाशन की तैयारी बेसमैप सर्वे के साथ अंतिम चरण में है। लिहाजा इस ग्रीन रिंग कॉरिडोर क्लस्टर को नवीन मास्टर प्लान में शामिल किए जाने का प्रस्ताव भोपाल भेजा जा रहा है। दरअसल 65 किलोमीटर का हिस्सा इसमें शामिल होगा, जिसमें 30 गांवों की जमीनों का अधिग्रहण करना पड़ेगा। हालांकि अब प्राधिकरण लैंड पुलिंग एक्ट के तहत निजी जमीन हासिल करता है, जिसमें 50 फीसदी जमीन उसके मालिकों को वापस लौटा दी जाती है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला के मुताबिक सीएम राइज स्कूलों के निर्माण का जिम्मा भी प्राधिकरण को मिला है और नंदा नगर, मूसाखेड़ी तथा पाल कांकरिया में लगभग 69 करोड़ रुपए की राशि से ये स्कूल बनेंगे।
ओवरब्रिज के नीचे निर्मित प्ले झोन को भी दिया ठेके पर
प्राधिकरण ने पिपल्याहाना ओवरब्रिज का निर्माण तो किया ही, वहीं उसके नीचे बोगदों में प्ले झोन भी निर्मित करवाए, जो अनुपयोगी ही पड़े हैं। अब बोर्ड ने इनके संचालन का ठेका निजी दो फर्मों को सौंपा है। पिछले दिनों प्राधिकरण ने इसके लिए टेंडर बुलाए थे, जिसमें बास्केटबॉल, हॉकी और स्कैटिंग प्ले झोन के लिए खालसा रबर इंडस्ट्रीज और क्रिकेट तथा फुटबॉल प्ले झोन के लिए आरवाय इंटरप्राइजेस एंड डवलपर्स को इसके संचालन और रख-रखाव का ठेका दिया गया है। ये दोनों फर्में प्राधिकरण को निर्धारित राशि का भुगतान भी करेंगी और जल्द ही ये प्ले झोन शुरू हो जाएंगे
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