इंदौर, राजेश ज्वेल
रियल इस्टेट कारोबार (Real estate business) के सबसे बड़े गढ़ इंदौर (Indore) में सरकारी जमीन (Government land) की एक बड़ी नीलामी (auction) होने जा रही है। स्मार्ट सिटी डवलपमेंट लिमिटेड ने महू नाका स्थित कुक्कुट पालन केन्द्र की 7 लाख रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन को ऑनलाइन टेंडर के जरिए बेचने का निर्णय लिया है, जिसके लिए 378 करोड़ रुपए का आरक्षित मूल्य तय किया गया है। आवासीय सह वाणिज्यिक उपयोग की यह जमीन फ्री होल्ड रहेगी। पूर्व में इस जमीन का उपयोग रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत करने का भी निर्णय एसटीपी प्लांटों के निर्माण के एवज में तय किया गया था, मगर अब इस जमीन को सीधे ही नीलाम करने का निर्णय पिछली बोर्ड बैठक में लिया गया।
मध्यप्रदेश सरकार ने कुछ समय पूर्व सरकारी जमीनों की नीलामी करवाई थी, जिसमें इंदौर की भी कुछ जमीनें बेची गई, उसके बाद मोहन सरकार ने फिलहाल यह प्रक्रिया रूकवा दी है। वहीं दूसरी तरफ एमओजी लाइन में स्मार्ट सिटी में 11 भूखंड विकसित किए, जिनमें से तीन भूखंडों को टेंडर के जरिए बेचा जा चुका है। वहीं 8 भूखंड अभी बचे हैं, जिनमें अतिक्रमण, अवैध निर्माण, हाउसिंग बोर्ड के मकानों के बने होने से लेकर अन्य बाधाएं हैं। अभी इंदौर स्माार्ट सिटी डवलपमेंट लिमिटेड की जो बोर्ड बैठक पिछले दिनों हुई उसमें कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा और सीईओ दिव्यांक सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे, जिसमें तय किया गया कि कुक्कुट पालन केन्द्र की 16.94 एकड़ जमीन, जो कि महू नाका के पास स्थित है और उसका सर्वे नम्बर 866/2, 866/2/3, 866/1/1/1 और 866/1/1/2 है। 7 लाख स्क्वेयर फीट से अधिक इस जमीन का आरक्षित मूल्य लगभग 378 करोड़ रुपए से अधिक तय किया है और लगभग साढ़े 9 करोड़ रुपए टेंडर भरने वाली फर्म को अर्नेस्ट मनी के रूप में जमा करना होंगे। 15 जनवरी तक टेंडर ऑनलाइन खरीदे जा सकेंगे और फिर 16 जनवरी को ये टेंडर खुलेंगे। इंदौर में सरकारी जमीन की यह सबसे बड़ी नीलामी है। अब देखना यह है कि कौन-सी रियल इस्टेट कम्पनी इतनी महंगी जमीन का टेंडर जमा करती है। इंदौर के बजाय बाहर की किसी कम्पनी की संभावना अधिक है। हालांकि यह भी संभव है कि पहली बार बुलाए टेंडर में स्मार्ट सिटी कम्पनी को सफलता ना भी मिले, मगर इंदौर का यह सबसे बड़ा सौदा रियल इस्टेट कारोबार में चर्चा का विषय अवश्य रहेगा। यह भी उल्लेखनीय है कि शासन स्तर पर आईटी कम्पनियों और उद्योगों को बेशकीमती जमीनें ओने-पोने दामों पर भी दी गई है, जिनका बाजार मूल्य कई गुना अधिक रहा है। उदाहरण के लिए सुपर कॉरिडोर पर ही टीसीएस और इन्फोसिस को 230 एकड़ जमीन सस्ते में दी गई और बाद में फिर 50 एकड़ जमीन वापस भी ली गई। हालांकि कोरोना के बाद इंदौर में जमीनों के दाम तेजी से बढ़े और चारों तरफ कॉलोनियां विकसित की जाने लगी। हालांकि अभी जमीनी कारोबार स्थिर है। ऐसे में स्मार्ट सिटी कम्पनी ने जो 7 लाख स्क्वेयर फीट की बड़ी जमीन बिक्री के लिए निकाली है उसमें इंदौर या दिल्ली-मुंबई की बड़ी रियल इस्टेट कम्पनी ही हिस्सेदारी कर सकती है। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है कि पहली बार में बुलाए टेंडर में यह जमीन बिक भी जाए। पूर्व में भी स्मार्ट सिटी कम्पनी को एमओजी लाइन के आवासीय और व्यवसायिक भूखंडों को बेचने में दिक्कतें आई हैं और 11 में से अब तक तीन भूखंड ही बिक सके हैं। कुक्कुट पालन केन्द्र की जो जमीन अब फ्री होल्ड बेची जा रही है, पहले उस पर भी रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्ट लाने का निर्णय लिया गया था, जो बाद में बदला गया।
रिलायंस-गोदरेज सहित इंदौर में हुए जमीनों के ये बड़े सौदे
इंदौर में जमीनों का अब तक का सबसे बड़ा सौदा रिलायंस ने 2007 में किया था। जब उसने इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 54 स्थित 9 एकड़ जमीन 270 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसके बाद अभी कुछ समय पूर्व ही गोदरेज ने 46 एकड़ इंदौर-उज्जैन रोड पर जमीन खरीदी और यह सौदा भी 200 करोड़ रुपए में हुआ। इसी तरह एमपीआईडीसी के साथ पीथमपुर सेक्टर-7 में एशियन पेंट ने 148 करोड़ की जमीन ली, तो कुछ समय पूर्व यूनियन बैंक ने मनोरमागंज स्थित एक भूखंड की नीलामी 103 करोड़ में की। वहीं योजना 140 से लेकर सुपर कॉरिडोर और अन्य जगह भी 50 से 100 करोड़ तक की जमीनों के सौदे हुए हैं। अगर कुक्कुट पालन केन्द्र की जमीन नीलाम हो जाती है तो यह एक नम्बर में अब तक का सबसे बड़ा इंदौरी जमीनी सौदा रहेगा।
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