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भाजपा में नए चेहरे पर दांव महंगा पड़ा… हार-जीत का अंतर घटेगा

July 09, 2022

भोपाल। भाजपा को नए चेहरे पर दांव लगाना महंगा पड़ सकता है। जिस हिसाब से मतदान हुआ है उससे नहीं लग रहा है कि दोनों ही प्रत्याशियों में से कोई जीतता है तो उसकी जीत का आंकड़ा लाखों में जा सकता है। राजधानी में कांग्रेस प्रत्याशी विभा पटेल और भाजपा प्रत्याशी मालती राय और इंदौर में कांग्रेस के संजय शुक्ला ने भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव से जिस प्रकार से कड़ा मुकाबला किया है उससे कांग्रेस को जहां जीत की उम्मीद है, वहीं अभी भाजपा भी अगर जीतती है तो उसकी लीड बहुत ही कम होगी।

आकलन में जुटी भाजपा-कांग्रेस
कम मतदान ने भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। दोनों ही दल के नेता कम मतदान से लाभ एवं हानि का आकलन करने में जुटे हैं। महापौर प्रत्याशी अपने स्तर पर वार्डवार आकलन कर रहे हैं तो पार्टी नेता भी प्रभारियों के माध्यम से जानकारी जुटा रहे हैं। कांग्रेस कम मतदान का कारण सत्ता विरोधी माहौल को बता रही है तो भाजपा ने इसके लिए अव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, पार्टी नेताओं को सरकार के विकास कार्यों पर भरोसा है और आश्वस्त हैं कि परिणाम भाजपा के पक्ष में रहेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने सभी 11 नगर निगमों के महापौर प्रत्याशियों से मतदान को लेकर जानकारी ली। उन्होंने कम मतदान के बन रही स्थिति पर चर्चा की।

अपने-अपने तर्क
पार्टी के चुनाव कार्य के प्रभारी जेपी धनोपिया ने बताया कि कम मतदान से साफ है कि प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है। महंगाई, बेरोजगार, कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति से हर वर्ग परेशान है। जिला प्रभारियों के माध्यम से अभी जो प्रारंभिक जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार पार्टी के पक्ष में परिणाम आ रहे हैं। महापौर प्रत्याशी अपने स्तर पर भी आकलन कर रहे हैं। पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि पंचायत चुनाव में स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। प्रदेश के मतदाताओं ने परिवर्तन का मन बना लिया है। कम मतदान इसका प्रमाण है। उधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि कांग्रेस कम मतदान को लेकर यदि प्रसन्न् है तो 17 जुलाई बहुत दूर नहीं है। पहले चरण के नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम 17 जुलाई को आएंगे। यदि कांग्रेस इतनी ही आश्वस्त है तो फिर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका पर प्रश्न क्यों उठाए जा रहे हैं। कम मतदान का कारण वर्षा और अव्यवस्था रही है। इसको लेकर पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह को ज्ञापन भी दिया है।


प्रत्याशियों से नाराजगी भी बड़ा कारण
कम मतदान का बड़ा कारण प्रत्याशियों से नाराजगी भी रही है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर कई जगह पर विरोध दर्ज कराया गया। कार्यकर्ता घर से नहीं निकले और उन्होंने मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने का काम भी नहीं किया।

कम मतदान पर भाजपाई सकते में, कांग्रेसी खुश
शहर में नगर निगम चुनाव में मतदान के कम आंकड़ों को लेकर भाजपाई सकते में हैं। कम मतदान किसके पक्ष में जाएगा इस बारे में नेता आकलन कर रहे हैं, जबकि कांग्रेसी बेहद उत्साहित हैं और जीत को अपने पक्ष में बता रहे हैं। इस बार भाजपा में जिस तरह टिकट वितरण को लेकर विवाद हुए और बाद में उसके बागी मैदान में खड़े हो गए, इसको लेकर कुछ सीटें भाजपा की झोली से खिसकेंगी यह तय है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पार्षद बढ़ेंगे यह भी तय है। भोपाल में 50 प्रतिशत वोटिंग होने का एक बड़ा कारण मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटना बताया जा रहा है, पर कम वोटिंग किसका नुकसान करेगी इसेे लेकर खुलकर कोई नहीं बोल रहा है।

 

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