इंदौर। सुपर कॉरिडोर के साथ ही प्राधिकरण ने 18 साल पहले एमआर-10 पर रेलवे लाइन के ऊपर फोरलेन फ्लायओवर बीओटी के तहत निर्मित करवाया था, जिस पर 17 साल तक टोल टैक्स की वसूली भी होती रही और पिछले साल ही यह ठेका समाप्त हुआ, जिसके बाद टोल नाका तुड़वाकर रोड बनवा दी गई। अब सिंहस्थ के मद्देनजर इस फोरलेन फ्लायओवर को दो गुना यानी आठ लेन में परिवर्तित किया जा रहा है, जिस पर लगभग 82 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्राधिकरण यह कार्य करवाएगा। आज संभागायुक्त ने सिंहस्थ से जुड़े प्रोजेक्टों और विकास कार्यों को लेकर भी बैठक बुलाई है, उसमें इस 8 लेन किए जाने वाले फ्लायओवर पर भी निर्णय होगा।
2028 के सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर में भी कई विकास कार्य होना है, जिनमें सडक़ों, फ्लायओवरों, बस टर्मिनल से लेकर अन्य सुविधाएं शामिल रहेंगी, क्योंकि सबसे अधिक बोझ इंदौर पर ही रहेगा। प्राधिकरण द्वारा एमआर-12 का निर्माण भी कराया जा रहा है। उसे भी सिंहस्थ से पूर्व तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि एमआर-10 के समानांतर एक और ऐसा रोड मिल जाए जो बायपास-एबी रोड को सीधा उज्जैन रोड से जोड़े। एमआर-12 भी भौंरासला से जुड़ेगा, जिसके एक हिस्से पर तो प्राधिकरण ने निर्माण करा भी दिया है। रेलवे ओवरब्रिज से लेकर अन्य निर्माण बाकी हैं।
एमआर-12 पर भी रेलवे लाइन के ऊपर प्राधिकरण द्वारा फ्लायओवर बनवाया जाएगा। पिछले दिनों रेलवे मंत्रालय ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। वहीं दूसरी तरफ एमआर-10 पर प्राधिकरण ने आईएस बीटी का भी निर्माण किया है, जिसका संचालन जल्द ही शुरू किया जाना है। इसके लिए उपयुक्त ठेकेदार एजेंसी भी तलाशी जा रही है। वहीं इसके पास ही निर्मित फोरलेन को 8 लेन में परिवर्तित करने की भी कवायद की जा रही है। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस फोरलेन की लम्बाई 713 मीटर है और चौड़ाई 15.5 मीटर है, जिसे अब दो गुना किया जा रहा है और निर्माण कार्य पर 61 करोड़ तथा पूरे प्रोजेक्ट की लागत 82 करोड़ रुपए आंकी गई है। वर्तमान में बने फोरलेन के समानांतर ही दूसरा फोरलेन निर्मित किया जाएगा, जो कि सुपर कॉरिडोर पर आने वाले समय में यातायात का दबाव बढ़ेगा और उसके आगे प्राधिकरण ने 8 लेन का फ्लायओवर बनवा भी रखा है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जो एमआर-10 पर फोरलेन फ्लायओवर बना है उसे 18 साल पहले बीओटी पर निर्मित करवाया गया था, क्योंकि तब प्राधिकरण की माली हालत आज की तरह बेहतर नहीं थी। 17 साल तक टोल टैक्स वसूली का ठेका भी इसके चलते दिया गया। हालांकि अवधि पूरी होने के कुछ वर्ष पूर्व ही ठेकेदार फर्म ने स्थानीय दो पहिया-चार पहिया वाहनों से टोल टैक्स लेना बंद कर दिया था। सिर्फ बाहरी और बड़े वाहनों से ही टोल टैक्स की राशि वसूल की जा रही थी। प्राधिकरण का कहना है कि सिंहस्थ मद से ही 82 करोड़ रुपए की राशि शासन से मांगी जाएगी।
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