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सुपर कॉरिडोर के जमीन मालिकों की याचिकाओं पर प्राधिकरण हुआ हाईकोर्ट में तलब

  • April 23, 2025

    इंदौर। अपनी नई टीपीएस योजनाओं (TPS Schemes) की अधिकांश जमीनों पर प्राधिकरण (authority) किसानों (Farmers) के साथ अनुबंध कर रहा है और बदले में 50 फीसदी जमीन वापस लौटाई जाएगी। वहीं सुपर कॉरिडोर (Super Corridor) की जो पुरानी योजनाएं हैं उनमें आवास नीति के तहत अनुबंध कर 20 से लेकर 30 फीसदी तक विकसित भूखंड दिए जा रहे हैं। मगर कुछ जमीन मालिकों ने प्राधिकरण के खिलाफ पहले शासन और उसके बाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। सिंगल बैंच में हार का मुंह देखने के बाद प्राधिकरण की ओर से डबल बैंच के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई, जिस पर कल प्राधिकरण को हाईकोर्ट ने तलब किया। सीईओ, भू-अर्जन अधिकारी सहित प्राधिकरण के कई अफसर और अभिभाषकों की टीम डबल बैंच के समक्ष उपस्थित हुई और इन योजनाओं की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। दरअसल, योजनाएं जब घोषित की गईं तब नगर तथा ग्राम निवेश से कुछ जमीन मालिकों ने औद्योगिक उपयोग के अभिन्यास मंजूर करवाए थे। मगर बाद में मास्टर प्लान लागू होने और सुपर कॉरिडोर के उपयोग निर्धारित कर दिए गए, जिसके चलते इन जमीन मालिकों ने मंजूर अभिन्यास के मुताबिक निर्माण नहीं किए। अब इस मामले में 14 मई को फाइनल सुनवाई के बाद फैसला आएगा।


    सुपर कॉरिडोर की योजना 169-ए, 169-बी सहित अन्य योजनाएं इंदौर का मास्टर प्लान लागू होने से पहले घोषित की गई थी। ग्राम भौंरासल, कुमेर्डी, टिगरिया बादशाह, बरदरी और बड़ा बांगड़दा में घोषित की गई इन योजनाओं में कुछ निजी जमीनों पर नगर तथा ग्राम निवेश से 2005 में अभिन्यास मंजूर करवाए गए थे। उस वक्त इन जमीनों का उपयोग औद्योगिक था। लिहाजा ये अभिन्यास उसी आधार पर मंजूर हुए और जब 2008 में इंदौर का मास्टर प्लान लागू हुआ तब ये जमीनें सुपर कॉरिडोर के लिए निर्धारित 18 भू-उपयोग के दायरे में आ गई। इनमें पुष्पाबाई कोठारी सहित कुछ प्रकरणों में जमीन मालिकों की ओर से शासन के समक्ष की गई अपील में जमीनें छोडऩे के आदेश पारित हुए और उसका पालन न करने पर हाईकोर्ट की सिंगल बैंच में भी याचिकाएं दायर की गई, जिसमें प्राधिकरण के खिलाफ फैसला आया, जिस पर डबल बैंच के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत जवाब से असंतुष्ट होकर अधिकारियों को तलब करने के आदेश दिए, जिसके चलते कल सीईओ आरपी अहिरवार, भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा, प्राधिकरण के अभिभाषक अम्बर पारे सहित अन्य की टीम हाईकोर्ट पहुंची और डबल बैंच के समक्ष सुपर कॉरिडोर की योजनाओं में शामिल जमीनों, अब तक किए गए विकास कार्यों सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई, जिससे हाईकोर्ट भी संतुष्ट नजर आया और अब 14 मई को अगली तारीख पर अंतिम सुनवाई के बाद फैसला आएगा। प्राधिकरण का कहना है कि नियम मुताबिक ली गई अनुमति के आधार पर अगर मौके पर निर्माण नहीं किया गया तो स्वत: ही अभिन्यास की वैधता खत्म हो जाती है और उसके साथ ही अन्य कानूनी प्रावधान भी लागू होते हैं।

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