जबलपुर। सैलरी सॉफ्टवेयर में 7 करोड़ का हेरफेर करने का आरोपी संदीप शर्मा अब तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। खबर है कि शर्मा ग्वारीघाट स्थित अपनी बहन के घर में छिपा था,लेकिन पुलिस के पहुंचने के पहले ही रफूचक्कर हो गया और अब ये बाबू भोपाल में अपने किसी रिश्तेदार के यहां मेहमानी कर रहा है। संदीप ने अपने विभाग प्रमुख से लेकर जिला कोषालय तक को ठग लिया। हाईकोर्ट का फर्जी आदेश लगाकर भी उसने शासकीय विभाग के करोड़ों रुपए गबन कर लिए और किसी को खबर तक नहीं लगी।
चार साल पहले का रिकॉर्ड ही नहीं मिला
भोपाल से जबलपुर आई जांच टीम को 2021 के बाद का पूरा रिकॉर्ड मिल गया, लेकिन 2021 से पहले का कोई भी डेटा उपलब्ध नहीं हो सका। दरअसल, 2021 से पहले नगर कोषालय में सारा लेखा-जोखा होता था, जो अब बंद हो चुका है। इसका पूरा डेटा भोपाल स्थित वित्त कार्यालय में है। माना जा रहा है कि अब नगर कोषालय के डेटा की भी जांच होगी, जिससे घोटाले की राशि और भी बढ़ सकती है। संपरीक्षा विभाग में पदस्थ रहे संदीप शर्मा को 2012 में पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। सॉफ्टवेयर संचालन में एक्सपर्ट संदीप ने बड़ी ही चालाकी से अपने अधिकारियों की नाक के नीचे करोड़ों का घोटाला कर दिया और किसी को भनक तक नहीं लगी।
अब तक क्या हुई कार्रवाई
संपरीक्षा विभाग के घोटाले की गूंज जबलपुर से लेकर भोपाल तक पहुंच गई। आनन-फानन में इस घोटाले में शामिल संयुक्त संचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई और संदीप शर्मा को निलंबित कर दिया गया। मनोज बरहैया को जबलपुर से हटाकर भोपाल में अटैच कर दिया गया, जबकि संपरीक्षा विभाग के नए जेडी के रूप में अमित विजय पाठक को नियुक्त किया गया।
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