इंदौर। प्रमोशन के बाद ट्रेनिंग पर इंदौर आए एक सहायक थानेदार की संदिग्ध मौत हो गई। वह अनफिट था, ट्रेनिंग सेंटर से लापता भी हो गया था। आरोप है कि जिस बटालियन में वह पदस्थ था, उसके अधिकारियों ने उसे खोजने का प्रयास नहीं किया। न तो उन्होंने रिपोर्ट लिखाई और न ही उसके घरवालों को कोई ऐसे प्रमाण दिए, ताकि वह इंदौर में इस बात की रिपोर्ट लिखा सकें कि वह ट्रेनिंग के लिए आया और लापता हो गया था। उससे ट्रेनिंग के नाम पर अनफिट होने के बावजूद नाइट ड्यूटी कराई गई, जिसके चलते वह ट्रेनिंग सेंटर छोडक़र शहर में फटे हाल घूमता रहा। शहरवासियों को उस पर तरस आया तो कपड़े दिलाए।
धरमपुरी के पास के तारापुर के प्रधान आरक्षक ओमप्रकाश पिता नत्थूलाल का बीते दिनों प्रमोशन हुआ और वह सहायक थानेदार बना। वह धार में 34 वीं बटालियन में पदस्थ था। प्रमोशन के बाद करीब डेढ़ माह पहले वह इंदौर की 15 वीं बटालियन में ट्रेनिंग के लिए आया। बेटे सावन सांवरे का आरोप है कि पिता ने ट्रेनिंग अफसरों को कहा था कि उनकी तबीयत खराब है, जिसके चलते वह ट्रेनिंग नहीं कर पाएगा और वापस उन्हें धार भेज दो, लेकिन अधिकारियों ने नहीं सुनी और उनसे नाइट ड्यूटी भी करवाते रहे। 2 तारीख को एकाएक वे ट्रेनिंग सेंटर से लापता हो गए, जिसके दो दिन बाद ट्रेनिंग सेंटर के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
पिता की चिंता में इंदौर आए और स्थानीय थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी और कहा कि वे जिस बटालियन में ट्रेनिंग के लिए आए थे, वहीं के अधिकारी लिखकर देंगे, तब कहीं रिपोर्ट होगी, लेकिन अधिकारियों ने लिखकर नहीं दिया और न ही खुद रिपोर्ट लिखाई। 9 तारीख को वे एप्पल अस्पताल के पास फटे हाल में चाय पीते मिले, जो कपड़े उन्होंने पहन रखे थे, वह नहीं थे, किसी ने उन्हें दूसरे कपड़े पहनाए थे। बाद में इन्हें रिश्तेदार के घर ले जाया गया, तबियत बिगडऩे पर निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतक के बेटे का आरोप है कि ट्रेनिंग अधिकारियों की लापरवाही और अस्पताल वालों की लापरवाहीं से मौत हुई है।
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