सडक़ जब सबक बन जाए तो मंजिल मुट््ठी में नजर आए… जो इस सफर को अपनाए कामयाबी उसके साथ हो जाए… क्योंकि सडक़ आजमाती है… सडक़ थकाती है… सडक़ शरीर को मजबूत बनाती है… सडक़ सारे अभिमान, गुरूर और घमंड को निकालकर इंसान को संयम, साहस, धैर्य और अनुभव के सबक सिखाती है… इसलिए राहुल गांधी हजारों किलोमीटर का सफर सडक़ पर तय करते हुए, ठंड, गर्मी और बरसात सहते हुए, विपक्ष के तेवर और तानों से लड़ते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक की सडक़ नाप चुके हैं… इस सफर ने राहुल को अपने पैरों पर खड़ा कर डाला… उनके पास उधार का अनुभव नहीं, बल्कि स्वयं का सृजन है… उनके पास अब सौगात की सत्ता नहीं, बल्कि संघर्ष का सफर है… उनके पास विरासत का नेतृत्व नहीं, बल्कि क्षमताओं को साबित करने का अवसर है… विरोधियों के पप्पू प्रचार को तमाचा मारते राहुल ने सडक़ से ऐसी पहचान बनाई कि सत्ता का गोदी मीडिया हर दिन राहुल की यात्रा दिखाने… साथ में चलते लोगों को बताने और सत्ता पर प्रहार के बयानों का प्रचार करने पर मजबूर हो गया… सडक़ की इस कामयाबी का सफर थमते ही राहुल खामोश होते मीडिया की आवाज गुंजाने और विरोधियों को शिकस्त देने के लिए परदेस जाकर खुद को हर दिन चर्चाओं में रखने के गुर आजमाने लगे… राहुल ने मोदी को नहीं, बल्कि उनकी उस छवि को निशाना बनाया, जिसमें भारत में इकलौती स्वीकारोक्ति के रूप में मोदीजी का नाम शुमार था… दुनिया उन्हें लोकतंत्र का सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली नेतृत्व मानती थी, ऐसे में उन पर उंगली उठाना, सवालों के घेरे में लाना उसी तरह का प्रयोग है, जिसमें पिद््दी पहलवान भी यदि किसी बड़े पहलवान से लड़ जाए तो उसका नाम हो जाता है…जो राहुल गांधी अपने नाम के मोहताज थे, उनका नाम आज मीडिया से लेकर संसद तक और देश से लेकर विदेश तक गूंज रहा है…भाजपा इसे अपरिपक्वता कहे या बचकाना समझे, लेकिन सच तो यह है कि बच्चा अब शातिर हो गया है…इस सफर के दौरान इस बच्चे ने न केवल गूंगे मीडिया का मुंह खुलवाना सीख लिया, बल्कि अपने नाम का रट्टा भा लगवा दिया…इस पप्पू ने विकास के गीत गाती सरकार के गानों का सुर बिगाडक़र अपना राग फंसा दिया…इस पप्पू ने मोदी-मोदी का नाम गुंजाती दुनिया के देशों में विरोधी-विरोधी का सुर भी गुंजा दिया…भाजपा जिसे देश का अपमान बता रही है राहुल ने उसे पहचान बना लिया…भाजपा को उस चक्रव्यूह में फंसा दिया, जिसमें सत्ता दल राहुल के बयान को लेकर माफी की रट लगा रहा है और कांग्रेस उसे यातना, प्रताड़ऩा बताकर स्वयं को सही साबित करने में जुटी है…विकास के सारे विषय गौण हो चुके हैं… संसद के सत्र हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं… चुनाव के इस मौसम में सरकार की ख्याति बताने और जताने के अवसर निकलते जा रहे हैं और अब राहुल नया दांव चला रहे हैं…बहस की नई जाजम बिछा रहे हैं…आरोप को देश का नहीं, व्यक्ति का विषय बता रहे हैं…इस बहस में सरकार जितना लड़ेगी, वाक्युद्ध करेगी, आरोप-प्रत्यारोप में फंसेगी उतनी उसकी छवि धूमिल होगी, क्योंकि राहुल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और सत्ता के पास गंवाने के सिवाय कुछ नहीं है…
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