भोपाल। मप्र पावर जनरेशन कंपनी के बिजली तापगृह से राख अब मुफ्त मिलना शुरू हो गई है। राख को कच्चेमाल की तरह इस्तेमाल करने वाली इकाईयां तापगृह से राख उठा रही है। इसमें सीमेंट इंडस्ट्री भी एक है जो राख उठाती है। अप्रैल से पहले तक दो तापगृह से राख बेचकर बिजली कंपनी करोड़ों रुपये कमा रही थी। अब यहां भी मुफ्त में राख मिल रही है। ये रिआयत मिलने के बाद जहां बिजली कंपनी को वित्तीय नुकसान हुआ है वहीं सीमेंट कंपनियों ने सीमेंट के दाम बढ़ाकर आम उपभोक्ता पर महंगाई का बोझ बढ़ा दिया है। जबकि कच्चा माल मुफ्त मिलने पर उम्मीद थी कि राख से बनने वाले उत्पाद के दाम कम होंगे। बिजली कंपनी के तापगृह से माह में औसत 6.5 लाख टन राख निकल रही है। मप्र पावर जनरेशन कंपनी ने अप्रैल 2022 से पर्यावरण का हवाला देते हुए तापगृह से निकलने वाली राख को मुफ्त बांटने का फैसला लिया। पहले बिरसिंहपुर संजय गांधी तापगृह में यह राख 92 रुपये टन के हिसाब से उठती थी। इस प्लांट के नजदीक ढेरों सीमेंट उद्योग संचालित है जिनमें कच्चे मामल के रूप में कोयले की राख लगती है। कंपनियां इसके लिए करोड़ों रुपये का भुगतान तापगृह को करती थी। रोजाना कई टन माल यहां से परिवहन होता है। अब सीमेंट कंपनियां यहां से बिना पैसा दिए ही राख उठा रही है। इसी तरह खंडवा के श्री सिंगाजी तापगृह में करीब 12 रुपये टन के हिसाब से राख उठाई जाती थी। इसके अलावा अमरकंटक और सारनी ताप गृह में सिर्फ राख को आसपास के उद्योगों के लिए मुफ्त में दी जाती थी। यहां सीमेंट उद्योग कम है इसलिए मांग कम होती है।
राख उठाना भी बड़ी परेशानी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के नियम में तापगृहों को निकलने वाली राख का पूरी तरह से निस्तारण करना आवश्यक है। प्लांट से दो तरह की राख निकलती है। मुख्य अभियंता फ्यूल मैनेजमेंट राजेश श्रीवास्तव के मुताबिक एक हवा में राख उड़ती है जिसे फ्लाई एश कहा जाता है। दूसरी राख वाटम एश जो पानी में गिरती है। हवा में उडऩे वाली राख को उच्च क्षमता के करंट की मदद से एकत्र किया जाता है। इसी राख को सीमेंट कंपनी कच्चे माल में उपयोग करती है। प्लांट से कई किलोमीटर दूर राख पानी की मदद से भेजी जाती है उस राख को ईंट बनाने और भराव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तापगृह से पहले पैदा होने वाली कुल राख का 30 प्रतिशत ही उठ रहा था। ऐसे में प्रदूषण अधिक बढ़ रहा था लिहाजा राख को तेजी से हटाने के लिए कंपनी ने इसे मुफ्त बांटने का फैसला किया। इधर कई निजी तापगृह पहले ही मुफ्त में राख दे रहे थे जिस वजह से जरूरतमंद कंपनियों ने पहले मुफ्त की राख उठाने पर ध्यान दिया।
60 रुपये बैग बढ़े दाम
सीमेंट के थोक व्यावसायी अभिषेक मन्नू अग्रवाल के अनुसार नामी सीमेंट कंपनियों के बीच मार्च 2022 में जहां 335 रुपये का एक बैग था वह अप्रैल माह में 395 रुपये तक पहुंच गया। अभी वर्तमान में 375 रुपये प्रति बैग तक दाम पहुंचे है। सीमेंट कंपनियों ने पहले दाम ज्यादा बढ़ाएं और फिर 20 रुपये कम कर दिए। सभी सीमेंट कंपनियां एक साथ दाम बढ़ाती है।
इनका कहना है
बिजली तापगृह में पर्यावरण के लिहाज से राख हटाना चुनौती है। बिरसिंहपुर और खंडवा में ही राख बिकती थी यहां भी पूरी तरह राख नहीं उठ पा रही थी। कुल उत्पादन का महज 30 प्रतिशत राख उठ पा रही थी। ऐसे में निजी तापगृह मुफ्त में राख दे रहे थे जहां से पहले कंपनियां लेती थी। इस वजह से अप्रैल 2022 से सभी जगह राख मुफ्त देना शुरू किया है। इससे हमारा परिवहन पर खर्च होने वाली राशि बचेगी। अब करीब 80 प्रतिशत राख उठने लगी है।
बीएल नेवल, मुख्य अभियंता आपरेशन एंड मेंटेनेंस मप्र पावर जनरेशन कंपनी
तापगृह कोल खपत पैदा हुई राख
संजयगांधी तापगृह 600516 224953
सारनी तापगृह 222455 88424
अमरकंटक तापगृह 76246 27978
श्रीसिंगाजी खंडवा 768631 308433
कुल 1667848 649788
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