नई दिल्ली: कॉम्पिटिशन अमेंडमेंट बिल पास होने से बड़ी टेक कंपनियों को झटका लग सकता है. जहां एक तरफ गूगल एंड्राइड इकोसिस्टम में अपना गलत इस्तेमाल कर रहा है. वहीं, इस बिल के पास होने से गूगल और उसकी कॉम्पिटिटिव कंपनियों को झटका लग सकता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस बिल में संसोधन के मुताबिक अब कंपनियां यूजर या उसके फ़ोन पर अपनी मनमानी नहीं चला सकती हैं.
आईये बताते हैं इससे कैसे बड़ी टेक कंपनियों को झटका लग सकता है. बता दें कि संशोधित कानून में एक बड़ा बदलाव यह है कि अगर कोई कंपनी अपने यूजर पर मनमानी करती या कोई दबाव बनाती पाई गई तो भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानि CCI उसे दंडित कर सकता है.
टेक कंपनियों को होगा नुकसान
सबसे पहले तो इस बिल के लागू होने से टेक ब्रांड्स के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके रेवेन्यू को लेकर आएगी। इस बिल से ब्रांड्स के रेवन्यू को तगड़ा झटका लग सकता है. क्योंकि कई एंड्रॉइड ब्रांड्स ने अपने खुद के बनाये हुए प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स के लिए मेटा और स्नैप जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर लेते हैं. अब ऐसा करने पर उन्हें सजा हो सकती है. क्योंकि रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स आपके लिए खतरा साबित हो सकते हैं.
बिल में ये भी हुए बदलाव
गलत असर डालने वाली चीजें होंगी खत्म
कॉम्पिटिशन एक्ट 2002 का मकसद कॉम्पिटिशन पर गलत असर डालने वाली चीजों को खत्म करना और कंज्यूमर के हितों की सुरक्षा करना है. जानकारों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है और बिजनेस को बढ़ाने के तरीके में एक आदर्श बदलाव आया है. आर्थिक विकास, विभिन्न व्यवसाय मॉडल को देखते हुए केंद्र सरकार ने कॉम्पिटिशन लॉ रिव्यू कमिटी का गठन किया है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved