लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav)ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान (farmer Movment) आन्दोलन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। तीन महीने से ज्यादा वक्त में तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर डटे किसान टस से मस नहीं हुए हैं। इस आन्दोलन में 250 किसानों की मौत हो गई है। पूरे देश के किसानों (farmers) में गुस्सा है।
उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि गेहूं की एमएसपी 1,975 रुपये प्रति कुंतल है। इस हिसाब से तो किसान की लागत भी नहीं निकलने वाली है। प्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2021-22 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से सीधे गेहूं की खरीद 01 अप्रैल से शुरू होगी।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की किसानों के प्रति हठधर्मिता के चलते अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी किसान आन्दोलन की गूंज होने लगी है। कई देशों के समाजसेवियों ने भारत के किसान आन्दोलन को अपना समर्थन दिया है। प्रतिष्ठित ‘टाइम’ मैगजीन ने इस बार का अपना कवर पेज भारत की उन महिला किसानों को समर्पित किया है। किसान निर्भीकता के साथ आन्दोलनरत है। इससे जाहिर है कि भारत का किसान आन्दोलन अंतरराष्ट्रीय बनता जा रहा है।
प्रदेश सरकार के हवा हवाई वादे का परिणाम पिछले चार साल से किसान भुगत रहे हैं। भाजपा किस तरह असली मुद्दों से लोगों को भटकाने का काम करती है इससे जाहिर है कि वह छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने के नाम पर एक जिला एक उत्पाद का बैनर टांग देती है। लेकिन, उत्पाद के विपणन की सुचारू व्यवस्था नहीं करती है। माटी कला बोर्ड का बोर्ड लगा दिया गया। लेकिन, एक नुमाइश के बाद उनको कोई पूछता तक नहीं है।
प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी में गुड़ महोत्सव का खूब प्रचार किया। लेकिन, जब गन्ना किसानों का बकाया देने का मौका आया तो सरकार ऊंघने लगी है। गन्ना किसानों को न एमएसपी मिली, नहीं 14 दिन में गन्ने का भुगतान हुआ। बकाये पर ब्याज का तो सवाल ही नहीं। किसान की आय दोगुनी होने का दूर-दूर तक सम्भावना नहीं। सच तो यह है कि किसान की जो आमदनी थी, भाजपा सरकार में वह भी खत्म हो गई। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved