इंदौर। धन दोगुना करने का लालच देकर लोगों के साथ लाखों की ठगी करने वाली एक एडवाइजरी कंपनी (Advisory Company) के खिलाफ एसटीएफ ने एक साल पहले केस दर्ज किया था।
अब जांच में पता चला है कि कंपनी ने ठगी के लिए 59 SIM का उपयोग किया था, जो फर्जी तरीके से ली गई थीं। इस मामले में जहां अब दो और लोगों को पकड़ा गया है, वहीं बाकी एजेंटों की तलाश की जा रही है।
STF SP मनीष खत्री (Manish Khatri) ने बताया कि एसटीएफ ने एक साल पहले वायएन रोड स्थित रैपिड रिसर्च टेक्नोलॉजी नामक एडवाइजरी कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
पुलिस ने मैनेजर जितेंद्र सराठे, विनोद विश्वकर्मा सहित 46 लोगों को गिरफ्तार किया था। ये लोग धन दोगुना करने के नाम पर लोगों से निवेश करवाते थे, लेकिन बाद में लोगों के लाखों रुपए हड़प गए। मामले की जांच में पता चला कि यह कंपनी लोगों को फंसाने के लिए 59 सिम का उपयोग करती थी। इनमें से कुछ पुराने नौकरों के नाम पर हैं तो कुछ कर्मचारियों के।
इसके अलावा कई सिम फर्जी हस्ताक्षर (Fake Signature) और कागजात ( Documents) से प्राप्त की गईं। इसके चलते टेलीकॉम कंपनी से जानकारी मांगी गई थी। इसमें कल दो लोगों अजय जायसवाल और अखिलेश तेकाम के नाम सामने आए थे। इनको गिरफ्तार किया गया है, जबकि बाकी एजेंट और जिन लोगों के नाम से फर्जी तरीके से सिम ली गई है या फिर वे भी इसमें शामिल थे, इसकी जांच चल रही है।
जल्द ही कुछ और एजेंटों को गिरफ्तार किया जाएगा।
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