शाहजहांपुर: एक और जहां उत्तराखंड के जोशीमठ में घर दरक कर लोगों में भय पैदा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी हो यूपी के शाहजहांपुर का हनुमान मंदिर धीरे-धीरे खिसक रहा हैय डरिये नहीं, हम बात कर रहे हैं हाईवे पर बाधक बने हनुमान मंदिर की. जहां के इंजीनियर 500 जैकों के जरिए मंदिर खिसकाया जा रहा है. प्रदेश में पहली बार इंजीनियरो की नई तकनीक से 16 फीट मंदिर को पीछे शिफ्ट कर चुके हैं. डेढ़ महीने के अंदर यह पूरा मंदिर शिफ्ट कर पूरे हाईवे को रास्ता खोल दिया जाएगा. लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना यह हनुमान मंदिर प्रशासन ने बड़ी सूझबूझ के साथ लोगों की भावनाओं को देखते हुए सौहार्दपर्ण वातावरण में शिफ्ट करने की कवायद शुरू कराई है, जिसके चलते स्थानीय लोग योगी को धन्यवाद दे रहे हैं.
शाहजहांपुर का आस्था का केंद्र बना हुआ यह हनुमान मंदिर पिछले तीन दशकों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. हाईवे बनने के बाद यह मंदिर हाईवे मार्ग चौड़ीकरण के जद में आ गया, जिसके चलते प्रशासन ने बड़ी सूझबूझ के साथ श्रद्धालुओं पुजारियों और स्थानीय लोगों की सहमति के बाद पहली बार इंजीनियरों के जरिए शिफ्ट करने की कवायद शुरू की है. करीब 500 जैको के जरिए इस मंदिर को 16 फीट तक पीछे खिसका दिया गया है. करीब डेढ़ माह के बाद इस मंदिर को बाकायदा हाईवे से हटाकर एक खेत में शिफ्ट कर दिया जाएगा.
प्रशासन की सूझबूझ के चलते न केवल यहां के श्रद्धालु प्रशासन की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं, दूसरी और योगी को धन्यवाद भी दे रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 3 वर्ष पहले भी इस मंदिर को हटाने के लिए प्रयास हुए थे, जिसके चलते प्रशासन ने बुलडोजर के जरिए इसे तोड़ने के प्रयास किए थे, लेकिन भगवान और लोगों की आस्था के चलते उनके उनकी मशीनें खराब हो गई और भारी विरोध के चलते इस हनुमान मंदिर को हटाया नहीं जा सका. अब प्रशासन की सूझबूझ और इंजीनियरों की नई तकनीकी के जरिए इस मंदिर को बगैर तोड़फोड़ के शिफ्ट करने की इस कवायद से स्थानीय लोगों में ना केवल उत्साह है, बल्कि हाईवे के रास्ते का अड़चन बना यह मंदिर हाईवे से हटने पर स्थानीय लोग योगी को धन्यवाद दे रहे हैं.
हनुमान मंदिर को शिफ्ट करने से बाबू अली ने अपनी एक बीघा जमीन का बैनामा प्रशासन के नाम पर किया गया था. जमीन मिलने पर प्रशासन ने इसी जमीन पर हनुमान मंदिर को शिफ्ट करने की कवायद शुरू की थी. डेढ़ माह बाद यह मंदिर हाईवे से खिसक कर सड़क के पास स्थापित हो जाएगा, जिसके बाद यह यह मंदिर ना केवल श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा बल्कि यह मंदिर गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी बनेगा.
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