क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप में लें फैसला और मीटिंग की वीडियोग्राफी, मिनिट्स जनता के लिए करें सार्वजनिक…
इंदौर, राजेश ज्वेल। मुख्यमंत्री को भी कोरोना हो गया, बावजूद इसके नेताओं को संक्रमण की गंभीरता अभी भी समझ में नहीं आ रही है। जो नेता नेगेटिव हुए वे अगले ही दिन फिर बाहर निकल गए, जबकि कम से कम 14 दिन होम क्वारेंटाइन जरूरी है। प्रशासन पर इन नेताओं का भी दबाव है कि मध्य क्षेत्र सहित अन्य गतिविधियां कोल दी जाएं। बेहतर होगा कि प्रशासन नेताओं की जिम्मेदारी पर पूरे शहर को खोल दे। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप में इस संबंध में फैसला लिया जाए और उसकी मीटिंग की वीडियोग्राफी और मिनिट्स जनता के लिए सार्वजनिक किए जाएं, ताकि सबको यह पता रहे कि कोरोना संक्रमण बढऩे की असल जिम्मेदारी किसकी रहेगी। अभी तो प्रशासन खोले तो भी विवाद और ना खोले तो भी उसी के माथे ठीकरा फोड़ा जा रहा है, जबकि कल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में कोरोना को लेकर एक बार फिर चेताते हुए कहा कि खतरा टला नहीं और यह उतना ही खतरनाक अभी भी है।
अभी पिछले हफ्ते ही इंदौर आए अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने जो समीक्षा बैठक ली उसमें इंदौर की स्थिति को भोपाल या अन्य शहरों की तुलना में बेहतर बताया और यह भी कहा कि अगर हर रोज 400 मरीज मिलते हैं तब भी लॉकडाउन नहीं लगेगा। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह की चिंता यह है कि अगर मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ी तो संभव है कि दिल्ली-मुंबई की तरह अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध ना रहें। हालांकि इंदौर में 11 हजार से अधिक बिस्तरों की व्यवस्था प्रशासन ने की है और अब बड़ी संख्या में ए सिम्टोमैटिक मरीजों को होम आइसोलेशन में भी रखा जा रहा है और अब होटलों में भी पैड आइसोलेशन की अनुमति दी जा रही है। दूसरी तरफ शहर के सारे जनप्रतिनिधि अंडे के कथित पलटे ठेले की तरह अपने बयानों से पलट जाते हैं। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठकों में इन्हीं जनप्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया कि मध्य क्षेत्र के बाजार लेफ्ट-राइट ही खुलेंगे, क्योंकि वहां भीड़ को संभालना मुश्किल है और संक्रमण फैलने का खतरा भी ज्यादा है। इसी तरह इन जनप्रतिनिधियों ने सब्जी मंडियों पर प्रतिबंध को मंजूरी दी और बकायदा मीडिया के सामने बाइट देते हुए यह भी कहा कि प्रशासन और नगर निगम का अमला मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य शर्तों का कढ़ाई से पालन करे और जुर्माना भी आरोपित करे और जिन बाजारों में पालन नहीं हो रहा है उन्हें सख्ती से प्रतिबंधित भी किया जाए, लेकिन जैसे ही एक अंडे वाले बच्चे का मामला सामने आया, सभी जनप्रतिनिधियों ने पलटी मार ली और शहरभर में सब्जी मंडी और ठेले खुलवाने में जुट गए, जबकि दूसरी तरफ प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ही कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। बावजूद इसके राजनीतिक आयोजन अभी भी जारी हैं। कल कफ्र्यू और लॉकडाउन के बावजूद नेता सड़कों पर निकले और पार्टी कार्यालय में बैठकें भी करते रहे। उनमें वे मंत्री और विधायक भी शामिल हैं जो तीन दिन पहले मुख्यमंत्री से मिले थे और कुछ के परिवार के सदस्य भी पॉजिटिव आ गए। मगर खुद की रिपोर्ट नेगेटिव आने के तुरंत बाद बाहर निकल गए, जबकि कोरोना के लक्षण 14 दिन के भीतर आते हैं और आज नेगेटिव हुआ व्यक्ति 3-4 दिन बाद पॉजिटिव हो जाता है। अब कलेक्टर मनीष सिंह को यह फैसला करना चाहिए कि क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की जो बैठक रेसीडेंसी पर होती है, जिसमें शहर के सांसद, कांग्रेस-भाजपा के विधायक और अन्य पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहते हैं और उसमें मीडियाकर्मी भी कवरेज के लिए जाते हैं। लिहाजा इस पूरी मीटिंग की वीडियोग्राफी करवाई जाए, जिसमें सब्जी मंडी, ठेलों से लेकर मध्य क्षेत्र के सभी बाजारों पर खुलकर चर्चा हो और इसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई जाए और साथ ही प्रशासन जो आदेश जारी करता है उसके साथ इस मीटिंग के मिनिट्स भी जारी करे और किस जनप्रतिनिधि ने क्या कहा उसका पूरा विवरण मिनट के रूप में दर्ज रहे और फिर जनता के लिए उसे सार्वजनिक कर दिया जाए, ताकि बाद में संक्रमण फैलने पर कोई पलटी ना मार सके। अभी तो पूरा ठीकरा ही प्रशासन और नगर निगम के अमले के मत्थे फोड़ा जा रहा है।
सोशल मीडिया के बहादुर भी हो जाएंगे एक्सपोज
अभी लॉकडाउन और दी जा रही छूट को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई बयान बहादुर सक्रिय हैं, जो आधे-अधूरे सच के साथ कांट-छांट कर तैयार वीडियो और जानकारियों को प्रसारित कर जनता को भ्रमित करते हैं। अभी निगम पर आरोप लगाया कि उसने अंडे का ठेला पलटा दिया, जबकि किसी भी वीडियो में निगम ठेला पलटाता नजर नहीं आ रहा है। उल्टा बच्चा खुद बोल रहा है कि हमारे भगने के चक्कर में अंडे फूट गए। अब सोशल मीडिया के ऐसे बहादुरों को भी एक्सपोज करने की जरूरत है, जो संक्रमण फैलने का जिम्मेदार भी प्रशासन को बताते हुए लॉकडाउन का समर्थन करते हैं और दूसरी तरफ उसका विरोध भी किया जाता है। अवैध सब्जी मंडी और ठेलों को लेकर रोजाना सोशल मीडिया पर भी वीडियो और फोटो प्रसारित होते हैं, जिसमें सख्त कार्रवाई की मांग प्रशासन और नगर निगम के अमले से की जाती है और कोरोना संक्रमण फैलने का भय भी बताया जाता है और जब असल में कार्रवाई होती है तो फिर किसी सब्जी या ठेले वाले का रोते-बिलखते वीडियो बनाकर सहानुभूति बटोरने के लिए उसे प्रसारित कर दिया जाता है।
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