इंदौर। जिला प्रशासन को डायवर्शन टैक्स की 1 अरब 41 करोड़ की वसूली करना है, लेकिन वह अब तक मात्र 2 करोड़ 93 लाख ही वसूल पाया। अब जिला प्रशासन आरआरसी के प्रकरणों की वसूली के लिए अभियान छेड़ रहा है। इस वसूली के लिए प्रशासन द्वारा सूची तैयार की जा रही है। जहां कुर्की की कार्रवार्ई भी की जा रही है, वहीं कालोनाइजरों से 1 अरब 41 करोड़ वसूलने के लिए सूची बनाई जा रही है। इन कालोनाइजरों द्वारा रेरा पंजीयन के बावजूद डायवर्शन टैक्स नहीं चुकाया गया है। प्रशासन ने अब तक लगभग 800 से अधिक प्रकरणों की सूची तैयार की है, जिनमें करोड़ों की वसूली बाकी है।
जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के अनुसार डायवर्शन टैक्स के रूप में अब तक 2 करोड़ 93 लाख 34 हजार रुपए ही वसूले जा सके हैं। इंदौर में धड़ल्ले से कालोनियां कटती जा रही हैं। इन कालोनाइजरों द्वारा बाकायदा कृषि भूमियों का आवास में डायवर्शन कराकर प्रीमियम राशि तो अदा कर दी जाती है, लेकिन सालाना डायवर्शन की राशि नहीं चुकाई जाती है। इसके लिए प्रशासन को हर स्तर पर कदम उठाना पड़ते हैं। हालांकि रेरा नियमों के अनुसार हर कालोनाइजर को सालाना डायवर्शन टैक्स चुकाना अनिवार्य है, लेकिन उसके बावजूद पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त किए जाने की कार्रवाई के वक्त ही बकाया डायवर्शन टैक्स चुकाया जाता है और वह टैक्स भी कालोनाइजर बिके हुए प्लाट होल्डरों के मत्थे मढ़ देते हैं और प्रशासन को एक-एक प्लाट होल्डर से डायवर्शन टैक्स की वसूली करना मुश्किल हो जाता है।
रेरा नियमों के अनुसार विकास अनुमति मिलने के बाद भूखंडों के पंजीयन की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है और जो डायवर्शन टैक्स कालोनाइजर को भरना पड़ता है उसका नामांतरण प्लाट होल्डर के पक्ष में हो जाता है, इसलिए कालोनाइजर डायवर्शन टैक्स भरने से हाथ ऊंचे कर देता है और प्रशासन के लिए मुश्किल यह हो जाती है कि जो कालोनाइजर एकमुश्त डायवर्शन टैक्स अदा करते थे उनकी जगह अब कालोनी के सैकड़ों प्लाटधारियों से डायवर्शन टैक्स वसूल करना पड़ता है और यदि प्लाट होल्डर डायवर्शन टैक्स जमा नहीं करे तो प्लाटों की कुर्की भी नहीं की जा सकती है। इसलिए प्रशासन के खाते में तो डेढ़ अरब रुपए की वसूली दर्शित हो रही है, लेकिन अब यह रकम प्लाट होल्डरों से वसूल की जानी है, जो इतना आसान नहीं है।
158 लोग बैंकों के डिफाल्टर.. 94 करोड़ की वसूली
कलेक्टर आशीषसिंह ने आरआरसी वसूली के प्रकरणों की भी समीक्षा की थी। इसके अंतर्गत 158 प्रकरणों में 94 करोड़ 60 लाख से अधिक की राशि आरआरसी की है। यह आरसीसी उन बैंकों के अनुरोध पर की जाती है, जिनके ऋण का चुकारा लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उन बैंकों द्वारा जिला प्रशासन के माध्यम से वसूली के लिए कुर्की आदेश जारी करने के साथ ही नीलामी के प्रकरण भी बनवाए जाते हैं।
राऊ और जूनी इंदौर से सर्वाधिक वसूली
जिन कालोनाइजरों ने डायवर्शन टैक्स जमा नहीं कराया, उनकी कुर्की के आदेश जारी किए जाएंगे। विभागीय आंकड़ों के अनुसार अब तक 97 प्रकरणों में मांग सूचना पत्र जारी किया गया है, जिसमें से राऊ और जूनी इंदौर में ही सबसे ज्यादा प्रकरण हैं। यहां 2 प्रकरणों में कुर्की भी की जा रही है। दसों तहसीलों में लाखों में राशि वसूली के लिए शेष है। 1 अरब 41 करोड़़ 83 लाख रुपए वसूलना हैं, जिनमें से सिर्फ 2 करोड़ 93 लाख 34 हजार रुपए ही वसूल पाए हैं। आरआरसी के बढ़ते प्रकरणों की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले पांच सालों में इंदौर जिले में कालोनियों का विकास चौगुनी गति से हुआ है और हर साल कालोनियों के लिए रेरा अनुमति ली जा रही है।
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