इंदौर। सम्पदा सॉफ्टवेयर 2.0 की भी लॉन्चिंग 1 जनवरी से की जा रही है, जिसके माध्यम से पंजीयन विभाग द्वारा की जाने वाली रजिस्ट्रियां होंगी। इंदौर सहित 20 जिलों में अभी इसकी शुरुआत होगी। फिर 1 अप्रैल से सभी 52 जिलों में यह सॉफ्टवेयर काम करने लगेगा। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि 1 जनवरी से किसी को पटवारी के पास जाने की आवश्यकता नहीं रहे और रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी हो जाए। हालांकि इंदौर में अभी यह प्रक्रिया चल रही है। प्रशासन का दावा है कि 82 फीसदी से अधिक लम्बित व नए नामांतरण प्रकरण निराकृत हो गए। सबसे अधिक मल्हारगंज तहसील में 90 फीसदी से अधिक प्रकरणों के निराकरण की जानकारी दी गई है।
कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने बताया कि सीएम हेल्पलाइन में भी त्वरित और सकारात्मक निराकरण के मामले में इंदौर जिले ने प्रदेश में सकारात्मक उपलब्धि हासिल की है और नवम्बर माह की समीक्षा के दौरान ही की गई ग्रेडिंग में इंदौर जिले को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। कुल 9 हजार 781 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 8 हजार 426 का निराकरण करने और 1 हजार 355 शेष रहने की जानकारी दी गई है। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्व में और कल विधानसभा में भी यह घोषणा की कि 1 जनवरी से किसी को भी नामांतरण के लिए पटवारी के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। साथ ही उन्होंने इस मामले में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। वहीं शासन स्तर से एक हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया गया है कि अगर नामांतरण के संबंध में कोई परेशानी या शिकायत हो तो उस नम्बर पर दर्ज करवाया जाए।
साथ ही मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य भी होगा, जहां विद्यार्थियों को डीजी लॉकर की सुविधा दी जाएगी, ताकि उनके सर्टिफिकेट, मार्कशीट और अन्य दस्तावेज ऑनलाइन सुरक्षित रहें और उन्हें किसी तरह की फोटोकॉपी या ओरिजनल पेपर साथ लेकर चलने की आवश्यकता नहीं रहेगी। दूसरी तरफ पंजीयन विभाग में सम्पदा पोर्टल का इस्तेमाल रजिस्ट्रियों में किया जाता है, उसे भी अपग्रेड किया गया है और 1 जनवरी से 2.0 सम्पदा सॉफ्टवेयर अमल में आ जाएगा। उससे भी नामांतरण सहित अन्य सुविधाएं ऑनलाइन मिलने लगेंगी। दूसरी तरफ जिला प्रशासन का दावा है कि नामांतरण, बटांकन, सीमांकन जैसे राजस्व के कार्यों में अब फिर से तेजी लाई गई है। खासकर नामांतरण के 82 फीसदी से अधिक प्रकरणों का निराकरण हो भी चुका है।
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