नई दिल्ली: मंत्रिमंडल गठन के 25 दिन बाद मोदी सरकार ने कैबिनेट समितियों की घोषणा की है. नियुक्ति से लेकर निवेश वृद्धि तक के अलग-अलग समितियों में सरकार ने 30 कैबिनेट मंत्रियों को एडजस्ट किया है. 4 समितियों में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर राज्य मंत्रियों को भी शामिल किया गया है. हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा राजनीतिक मामलों की समिति को लेकर हो रही है. इस समिति में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा 12 सदस्य शामिल किए गए हैं. मंत्रिमंडल समिति में इसे सबसे पावरफुल माना जाता है. देश की राजनीति से जुड़े बड़े फैसले इसी समिति के प्रस्ताव पर कैबिनेट करती है.
पहले कैबनेट से जुड़े इन कमेटियों के बारे में जानिए
भारत सरकार की कार्य आवंटन नियमावली, 1961 के तहत देश की कार्यपालिका काम करती है. भारत के संविधान में संघ के मंत्रिमंडल का जिक्र तो है, लेकिन उसकी समितियों के बारे में नहीं बताया गया है. इसलिए मंत्रिमंडल समितियों को संवैधानिक समितियों का दर्जा प्राप्त नहीं है.
मंत्रिमंडल समितियों का गठन बिजनेस रूल के तहत किया जाता है. यह बिजनेस रूल संविधान के अनुच्छेद 77(3) से प्रेरित है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि मंत्रिमंडल के कामों को सुगम और सुविधाजनक बनाने के लिए आवंटन का नियम बना सके. इसी के तहत मंत्रिमंडल के भीतर नियुक्ति, सुरक्षा, राजनीतिक, संसदीय, स्किल डेवलपमेंट और इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ समितियां बनाई जाती हैं. किस समिति में कौन-कौन मंत्री होंगे, यह तय प्रधानमंत्री करते हैं.
राजनीतिक मामलों की समिति का क्या काम है?
सियासी गलियारों में इस समिति को सुपर कैबिनेट भी कहा जाता है, क्योंकि यह कमेटी देश की राजनीति और आंतरिक मामलों में ड्राफ्ट तैयार करती है. केंद्रीय सचिवालय के मुताबिक राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति राज्य और राज्यों की समस्याओं से निपटने का काम करती है.
संघीय व्यवस्था होने की वजह से भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार है. केंद्र का काम इन राज्यों के बीच सामंजस्य स्थापित कर योजनाओं को लागू करवाना है. इसके अलावा यह समिति यह भी देखती है कि कोई राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा देश को आंतरिक तौर पर नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा. साथ ही इस समिति के जिम्मे विदेश से जुड़े नीतिगत मामलों का भी आकलन करना है.
राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में कौन-कौन?
केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक राजनीतिक मामलों की समिति में इस बार भी प्रधानमंत्री समेत कुल 13 सदस्य हैं. प्रधानमंत्री के साथ-साथ इस समिति में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं.
इन नामों के अलावा लघु उद्योग मंत्री जीतन राम मांझी, जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, उड्डयन मंत्री केआर नायडू, वन मंत्री भूपेंद्र यादव, महिला विकास मंत्री अनुपूर्णा देवी, संसदीय मंत्री किरेन रिजीजू और कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी भी शामिल हैं.
राज्यवार देखा जाए तो समिति में गुजरात से 2, महाराष्ट्र से 2, यूपी, बिहार, असम, अरुणाचल, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र, हिमाचल और राजस्थान से 1-1 मंत्री हैं. समिति में बीजेपी कोटे से 10 और गठबंधन के 2 सहयोगियों को जगह दी गई है. निर्मला सीतारमण, गिरिराज सिंह, मनसुख मांडविया और प्रह्लाद जोशी को इस बार समिति में जगह नहीं दी गई है.
अमित शाह 8 तो नड्डा सिर्फ 2 समितियों में
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंत्रिमंडल की सभी आठों समितियों में शामिल हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 6 समितियों में शामिल हैं. राजनाथ कैबिनेट कमेटी ऑफ अपॉइंटमेंट और कैबिनेट कमेटी ऑन अकंमडेशन (आवास) में नहीं हैं. बीजेपी के अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा सिर्फ 2 समिति में हैं.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को आर्थिक मामलों की समिति में जगह मिली है. सड़क निर्माण और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 5 समितियों में शामिल किए गए हैं. गडकरी को आवास, राजनीतिक, आर्थिक, स्किल और ग्रोथ से जुड़े समितियों में शामिल किया गया है.
जेडीयू कोटे से मंत्री बने ललन सिंह को आर्थिक मामलों और संसदीय मामलों की समिति में जगह दी गई है. टीडीपी के केआर नायडू राजनीतिक मामलों और संसदीय मामलों की समिति के सदस्य बने हैं. चिराग पासवान को इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ समिति में शामिल किया गया है.
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