इंदौर (Indore)। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डाक्टर्स ने हैरान कर देना वाला खुलासा किया है कि पिछले 4 महीने से शहरवासी जिस डेंगू बुखार के कहर से प्रताडि़त हैं, उनमें से सिर्फ कुछ मरीज ही डेंगू बुखार से पीडि़त है ं। बाकी सैकड़ों मरीज जिसे डेंगू बुखार समझ रहे हैं, दरअसल वह, वायरल हिमोरेजिक फीवर है । इसके सारे लक्षण तो डेंगू बुखार जैसे होते हैं, मगर मरीज पर इसका असर अलग होता है । इस बुखार में मरीज को डेंगू की अपेक्षा खतरा बहुत कम होता है।
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के मुखिया और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अमित अग्रवाल का कहना है कि यही वजह है कि बुखार से पीडि़त संदिग्ध मरीज का ब्लड सैम्पल जब मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में जाता है तो कुछ मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, मगर अधिकांश मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आती है। नेगेटिव रिपोर्ट वालों के भी लक्षण बिलकुल डेंगू बुखार जैसे ही होते हैं और इलाज भी उन्हीं दवाओं से किया जाता है, मगर हकीकत में यह डेंगू फीवर नहीं, बल्कि वायरल हिमोरेजिक फीवर है।
दोनों के लक्षण तो एक जैसे, मगर असर अलग-अलग
यह खुलासा करने वाले डाक्टर अग्रवाल का कहना है कि डेंगू फीवर और वायरल हिमोरेजिक फीवर के लक्षण एक जैसे होते हैं, मगर मरीज पर इनका असर अलग-अलग होता है। डेंगू फीवर के कारण प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं। लिवर पर भी बड़ी तेजी से नकारात्मक असर होता है, जबकि वायरल हिमोरेजिक फीवर के मरीज के प्लेटलेट्स बहुत ही धीरे- धीरे गिरते हैं। लिवर पर भी भी इसका नेगेटिव असर बहुत धीमा होता है। यही वजह है कि डेंगू बुखार जैसे लक्षण दिखाई देने के बावजूद अधिकांश मरीजों को प्लेटलेट्स की जरूरत ही नहीं पड़ी।
यह सिर्फ वायरोलॉजी लैब में ही पकड़ में आता है
डाक्टर अग्रवाल के अनुसार बारिश से लेकर उसके बाद वाले महीनों में अधिकांश लोग ज्यादातर 2 प्रकार के बुखार की चपेट में आते हैं। पहला है डेंगू बुखार, जिसका पूरा नाम डेंगू हिमोरेजिक फीवर और दूसरा है वायरल हिमोरेजिक फीवर। डेंगू बुखार का वायरस तो माइक्रोबायोलॉजी लैब में पकड़ में आ जाता है, मगर वायरल हिमोरेजिक फीवर का वायरस जांच के दौरान पकड़ में नहीं आता। यह वायरोलॉजी की लैब में ही पकड़ में आता है। यहां पर जांच बहुत महंगी होती है, इस कारण वायरल हिमोरेजिक फीवर पकड़ में नहीं आता। यही प्रमुख वजह रही कि शहर में डेंगू बुखार के हजारों मरीज सामने आ रहे थे, जबकि लैब में इस साल 11 महीने में 550 में ही डेंगू का वायरस पकड़ में आया। बाकी हजारों की रिपोर्ट नेगेटिव निकली।
शहर में बारिश के सीजन से अभी तक डेंगू बुखार के जो हजारों मरीज सामने आए हैं, उनके लक्षण भले ही डेंगू बुखार जैसे हैं, मगर उनमें से अधिकांश मरीज वायरल हिमोरेजिक फीवर से पीडि़त हैं। डेंगू की अपेक्षा यह फीवर कम खतरनाक होता है।
डॉक्टर अमित अग्रवाल , सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
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