डेस्क: टेस्ला के इंडियन मार्केट में एंट्री की तैयारी पूरी हो चुकी है. एलन मस्क की कंपनी ने शोरूम बनाने से लेकर स्टाफ की भर्ती तक का काम कर लिया है. लेकिन कंपनी भारत में अपना प्लांट लगाएगी या नहीं, इस पर अभी कुछ साफ नहीं है. खैर टेस्ला भले इंडिया में अपनी कार बनाए या विदेश में, इसका फायदा टाटा ग्रुप को ही होने वाला है.
यूं तो इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट में सबसे टेस्ला की सबसे बड़ी राइवल टाटा मोटर्स ही होने वाली है. फिर भी टाटा ग्रुप की दूसरी कंपनियों के साथ टेस्ला की एक डील हुई है, जो टाटा को फायदा कराएगी. टाटा ग्रुप की कई कंपनियां ऐसी हैं जो डायरेक्ट ऑटोमोबाइल नहीं बेचती, लेकिन उनके बिना ऑटोमोबाइल कंपनियों का काम नहीं चल सकता है. ऐसे में टेस्ला ने ग्रुप की Tata AutoComp, Tata Consultancy Services, Tata Technologies और Tata Electronics जैसी कंपनियों के साथ डील की है.
टाटा ग्रुप की ये कंपनियां अब से टेस्ला की ग्लोबल सप्लायर्स में से एक होंगी. इसका मतलब ये हुआ कि टेस्ला की कार अब कहीं भी बने, उसमें पार्ट्स टाटा ग्रुप की कंपनियों के ही लगेंगे. वहीं ईटी की एक खबर में इसे टेस्ला की इंडिया में सप्लायर बेस तैयार करने की कोशिश के तौर पर बताया गया है, जो बाद में फैक्टरी लगाने के काम को आसान बना सकती है.
टेस्ला के इंडिया आने से पहले ही भारत सरकार ने एक नई ईवी पॉलिसी जारी की है. इसमें विदेश से ईवी आयात करने पर लगने वाले टैक्स को घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 70 से 110 प्रतिशत था. हालांकि इसके साथ एक शर्त है कि जो भी कंपनी ऐसा करेगी उसे भारत में 3 साल के अंदर अपना एक प्लांट लगाना होगा, साथ ही कम से कम 50 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा.
हालांकि एलन मस्क भारत में अपना खुद का प्लांट लगाएंगे, इसे लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. हाल में ऑटोकार इंडिया की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया कि एलन मस्क की कंपनी टेस्ला भारत में अपनी कारों की कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग कर सकती है, जैसा एपल अपने आईफोन के लिए करती है. वहीं डोनाल्ड ट्रंप भी एलन मस्क के इंडिया में प्लांट लगाने की बात को लेकर अपना विरोध जाहिर कर चुके हैं.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved